गुलाबो-सिताबो की कमाई से ज्यादा उसकी खूबियों-खामियों की चर्चा हो रही, संकट ने हमें बॉक्स ऑफिस से परे जाकर सोचना सिखाया https://ift.tt/37HtIlI - VTM Breaking News

  VTM Breaking News

English AND Hindi News latest,Viral,Breaking,Live,Website,India,World,Sport,Business,Movie,Serial,tv,crime,All Type News

Breaking

Post Top Ad


Amazon Best Offer

Friday, June 19, 2020

गुलाबो-सिताबो की कमाई से ज्यादा उसकी खूबियों-खामियों की चर्चा हो रही, संकट ने हमें बॉक्स ऑफिस से परे जाकर सोचना सिखाया https://ift.tt/37HtIlI

बॉक्स ऑफिस फिल्म जगत का सर्वोच्च प्रभावशाली मापदंड है। बहुत पहले एक इंटरव्यू में मैंने फराह खान से फिल्म इंडस्ट्री में जेंडर इक्वेशन के बारे में पूछा था कि महिलाओं को पुरुषों के समान अवसर क्यों नहीं मिलते? उन्होंने हंसकर कहा था, जब तक फिल्म हिट है किसी को फर्क नहीं पड़ता है कि कैमरे के पीछे कौन है?आदमी, औरत या कोई जानवर।

बॉक्स ऑफिस की जो चर्चा पहले नाज बिल्डिंग में होती थी, पिछले 10-12 सालों में आम दर्शकों के घरों में होने लगी है। नाज बिल्डिंग मुंबई में एक बिल्डिंग है, जहां पहले सारी ट्रेड बिरादरी के ऑफिस थे। साल 2008 में गजनी आई। उसने सबसे पहले 100 करोड़ का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन कर 100 करोड़ क्लब की शुरुआत की।

मीडिया ने भी इसे खूब बढ़ावा दिया। फिल्म 100 करोड़ का व्यापार करे, यह बात ऐसी हो गई कि मेरी मां को भी पता होता था कि इस फिल्म ने कितना कलेक्शन किया।

फिल्म निर्देशक कबीर खान ने एक बार मुझसे कहा था कि अब जब मेरी फिल्म रिलीज होती है तो कोई यह नहीं पूछता की फिल्म कैसी है? सब पूछते हैं कि फ्राइडे को फिल्म की ओपनिंग कैसी रही? स्टारडम का सीधा कनेक्शन बॉक्स ऑफिस कलेक्शन से हो गया। उसे बड़ा स्टार कहने लगे, जो रिलीज के पहले दिन भारी संख्या में दर्शकों को सिनेमाघर तक ले आए।

बहरहाल, बॉक्स ऑफिस का जो सिलसिला इतने सालों से था, वह कोविड-19 के चलते जरा थम-सा गया है। 12 जून को गुलाबो सिताबो डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आई। यदि यही अन्य फिल्मों की तरह शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज होती तो ट्रेड जानकारों और फिल्म समीक्षकों में चर्चा होती कि फिल्म की ओपनिंग कैसी हुई, कलेक्शन क्या रहा, आयुष्मान खुराना का स्टार पावर क्या है?

अमिताभ बच्चन का स्टार पावर बरकरार है या नहीं? लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। सोशल मीडिया पर पहली बार लोग फिल्म के क्राफ्ट की बातें कर रहे हैं कि फिल्म स्लो है या कितनी खूबसूरती से बनाई है। कोई कलेक्शन नहीं पूछ रहा है। यह एक नई शुरुआत है।

मैं यह स्पष्ट कर देना चाहती हूं कि मैं सिनेमा थिएटर की बहुत बड़ी फैन हूं और बेसब्री से सिनेमा थियेटर्स खुलने का इंतजार कर रही हूं। लेकिन यह जो समय मिला है हमें, इसमें आम दर्शक फिल्म के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन से हटकर फिल्म की क्वालिटी, उसकी कला की बातें कर रहे हैं।

दर्शकों के दिमाग में यह भर दिया गया कि फिल्म के अच्छे या बुरे होने का बॉक्स ऑफिस ही एकमात्र बेंच मार्क है। पर यह सच्चाई नहीं है। पिछले साल सोन चिड़िया जैसी अच्छी फिल्म नहीं चली। और ऐसी कितनी ही फिल्में होंगी, जो रिलीज के वक्त नहीं चलीं, लेकिन बॉलीवुड इतिहास में उन्हें श्रेष्ठ फिल्म माना जाता है।

आज परिंदा को कल्ट फिल्म का दर्जा हासिल है। मगर उस वक्त परिंदा नहीं चली थी। ‘अंदाज अपना अपना’ उस वक्त बॉक्स ऑफिस कलेक्शन नहीं कर पाई थी। मगर पिछले 10 -12 सालों में हम 100 करोड़ क्लब की चर्चा और दौड़ में इतने खो गए कि हम यह देखना भूल गए कि फिल्म कैसी है।

रहा सवाल ओटीटी द्वारा कलेक्शन जाहिर करने का, तो वह हमें कभी पता नहीं लगेगा क्योंकि अमेजॉन या नेटफ्लिक्स आंकड़े देने की प्रथा नहीं रखते। मुझे उम्मीद है कि आम दर्शकों का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन के प्रति जो जुनून है, उससे हमें थोड़ी राहत मिलेगी। फिल्मों में कला, कॉस्टयूम, साउंड पर चर्चा होगी वरना हम सिर्फ कलेक्शन के चक्रव्यूह में ही फंसे रह जाएंगे।

जो लोग यह कहते हैं कि अमेरिका में सिनेमा बिजनेस खत्म हो चुका है वह गलत सोचते हैं। अवेंजर्स जैसी बड़े बजट की फिल्म अगर हजारों करोड़ की कमाई करती है तो वह सिनेमा थियेटर्स की वजह से ही संभव हो पाता है। तो मेरे विचार में भारत में भी सिनेमा थियेटर्स के भविष्य पर कोई आंच नहीं आएगी।


(ये लेखिका के अपने विचार हैं)



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
अनुपमा चोपड़ा, संपादक, FilmCompanion.in


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2zOPVlC

No comments:

Post a Comment

Please don’t enter any spam link in the comment

Featured post

A Gaza Doctor Has Died in Israeli Custody, Palestinian Groups Say https://bit.ly/3UtDDEB

By Raja Abdulrahim from NYT World https://nyti.ms/4ds9Uoe

Post Bottom Ad