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Tuesday, May 19, 2020

अम्फान की आहट से रुका जगन्नाथ पुरी में रथों का निर्माण, दो दिन के लिए बंद की रथखला https://bit.ly/3g3cIdx

23 जून को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलनी है। कोरोना वायरस और नेशनल लॉकडाउन के कारण काफी समय रथयात्रा पर संशय रहा। 8 मई को केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद रथों का निर्माण शुरू हुआ। लेकिन, निर्माण शुरू होने के दसवें दिन ही अम्फान तूफान की आहट शुरू हो गई। समुद्र तट से लगे पुरी शहर में भी तूफान को लेकर अलर्ट है, इस कारण पुरी मंदिर में रथयात्रा के रथों का निर्माण फिलहाल दो दिनों के लिए रोक दिया गया है।

सोमवार शाम से ही पुरी सहित उड़ीसा के समुद्र तट वाले इलाकों में तेज हवाएं चल रही हैं। हालांकि, यहां तूफान का असर उस स्तर का नहीं होगा लेकिन फिर भी सावधानी के तौर पर सभी जगह सुरक्षा इंतजाम किए जा रहे हैं। पुरी में भी तेज हवाओं और तूफान की आशंका के बीच रथों का निर्माण पहले जारी रहा, लेकिन बाद में सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर प्रबंधन समिति ने दो दिन के लिए रथ निर्माण पर रोक लगा दी है। रोज 15 से 16 घंटे रथखला में काम हो रहा था।

रथों का निर्माण प्रमुख विश्वकर्मा की देखरेख में हो रहा है। निर्माण में लगे सभी कारीगर पारंपरिक रुप से रथ निर्माण की कला में दक्ष हैं। कई कारीगरों का ये पुश्तैनी काम हैं। इनके पूर्वज भी जगन्नाथ का रथ निर्माण करते रहे हैं।

रथ तेजी से आकार ले रहे हैं। दो दिन पूर्व ही मंदिर परिसर में भौरी जत्रा हुई। ये आयोजन तब होता है, जब रथ के पहिए आकार ले लेते हैं। 150 विश्वकर्मा सेवक तेज गति से काम कर रहे हैं क्योंकि लॉकडाउन के कारण निर्माण देरी से शुरू हुआ और अब तूफान के कारण भी इसमें देरी हो रही है। रिकॉर्ड 40 दिनों में रथों को पूरा बनाना है। 23 जून को निकलने वाली रथ यात्रा के अंतिम स्वरुप पर फिलहाल कोई फैसला नहीं हुआ है।

दो दिन पहले मंदिर परिसर में भौरी जत्रा का आयोजन भी हुआ। इसमें रथों के पहिए तैयार करने के बाद उनकी पूजा की जाती है। रथ निर्माण की प्रक्रिया में भौरी जत्रा का काफी महत्व माना गया है।
  • अक्षय तृतीया पर होता है निर्माण शुरू

हालांकि, इस बार अक्षय तृतीया के 12 दिन बाद निर्माण शुरू हो पाया है लेकिन हर साल अक्षय तृतीया पर ही इसकी शुरुआत होती है। जिस दिन से रथ बनने शुरू होते हैं, उसी दिन से चंदन यात्रा भी शुरू होती है। कटे हुए तीन तनों को मंदिर परिसर में रखा जाता है। पंडित तनों को धोते हैं, मंत्रोच्चार के साथ पूजन होता है और भगवान जगन्नाथ पर चढ़ाई गई मालाएं इन पर डाली जाती हैं। मुख्य विश्वकर्मा इन तीनों तनों पर चावल और नारियल चढ़ाते हैं। इसके बाद एक छोटा सा यज्ञ होता है और फिर निर्माण के औपचारिक शुभारंभ के लिए चांदी की कुल्हाड़ी से तीनों लकड़ियों को सांकेतिक तौर पर काटा जाता है।

नारियल के पत्तों और बांस से बनी रथखला मंदिर परिसर में ही है। यहां सुबह 8 से रात 11 तक रथ निर्माण का काम चल रहा है। अलग-अलग टीमों में ये काम बांटा गया है।
  • 200 फीट लंबी रथखला में हो रहा है काम

रथ निर्माण के लिए मंदिर परिसर में ही अलग से लगभग 200 फीट लंबा एक पंडाल बनाया गया है। यहीं रथ का निर्माण चल रहा है। ये पांडाल नारियल के पत्तों और बांस से बनता है। रथ निर्माण की सारी सामग्री और लकड़ियां यहीं रखी जाती हैं। नारियल के पेड़ों की ऊंची लकड़ियों को यहीं पर रख के बेस, शिखर, पहिए और आसंदी के नाप के मुताबिक काटा जाता है। सारे हिस्से अलग-अलग बनते हैं और एक टीम होती है जो इनको एक जगह इकट्ठा करके जोड़ती है। इनकी फिटिंग का काम करती है। इस सभी कामों के लिए अलग-अलग टीमें होती हैं।



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Rath yatra 2020 Amphan cyclone 2020 Construction of chariots in Jagannath Puri did not stop even with the sound of Amphan


from Dainik Bhaskar https://bit.ly/3g9pjfx

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