दुनिया में कोरोना से लड़ने के लिए एक साथ 8 वैक्सीन पर तेजी से काम चल रहा है। सोमवार को जहां अमेरिका से मॉर्डना कम्पनी के वैक्सीन के इंसानी ट्रायल में सफल होने की खबर है, वहीं ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड वैक्सीन पर संकट आ गया है। सबसे ज्यादा चर्चा में रहा ये वैक्सीन बंदरों पर हुए ट्रायल में बहुत अच्छे नतीजे नहीं दे सका है।
इसवैक्सीन तैयार करने में चिंपांजी से मिले एडिनोवायरसChAdOx1 का इस्तेमाल किया जा रहा है। पहले चरण में रीसस मकाऊ बंदरों पर अच्छे नतीजे मिलने के बाद इसका ह्यूमन ट्रायल भी शुरू हो गया है, लेकिन इस बीच बंदरों के कोरोना पॉजिटिव मिलने की खबर ने चिंता बढ़ा दी है।
फ्लू रोकने में सफल, कोरोना में संदेह
चिंता की बात यह है कि कम क्षमता के जिसएडिनोवायरस से यह वैक्सीन बनाया जा रहा है वह साधारण फ्लू को रोकने में तो सफल है लेकिन कोरोनावायरस से संक्रमण में उतना प्रभावी नजर नहीं आ रहा।
इस वैक्सीन को लेकर शुरू से संदेह जता रहेहार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर के डॉ. विलयम हेसलटाइन ने इस बारे में बताया कि जिन छह रीसस बंदरों पर इस वैक्सीन का ट्रायल किया गया उनकीनाक में उतनी ही मात्रा में वायरस पाया गया जितना कि तीन अन्य नॉन वैक्सीनेटेड (जिन्हें टीका नहीं लगाया गया था) बंदरों की नाक में था।
महीनेभरमें स्पष्ट नतीजे आएंगे
वैक्सीन पर काम कर रहे यूनिवर्सिटी के जेनर इंस्टीट्यूट का कहना है कि सितंबरतक वैक्सीन तैयार कर ली जाएगी और यह एक सुरक्षित दवा साबित होगी। वैक्सीन के दावे के पीछे वहीतकनीक है, जिसका इस्तेमाल वैज्ञानिकों ने मर्स और इबोला जैसी महामारी में किया था।
बंदरों पर शोध के नतीजेशुरुआती
13 मई तककरीब 1100 लोगों को यह वैक्सीन दिया जा चुका है और इसके साथलगाया जा चुका है। शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि अगले एक महीने में स्पष्ट नतीजे सामने आएंगे। लंदन स्कूल ऑफहाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के डॉ.स्टीफन इवांस ने कहा कि बंदरों पर शोध के बाद जो नतीजे आए हैं, वह शुरुआती हैं। लेकिन, आगे यहदेखना भी महत्वपूर्णहोगा कि वायरस कितना म्यूटेट होता है और महामारीक्या रूप लेती है।
ब्रिटिश पीएम भी उलझन में
11मई कोब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ऑक्सफोर्डकोरोना वैक्सीन को लेकर उलझन में नजर आए थे। उन्होंने कहा था कि,मैं ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में वैक्सीन तैयार करने बारे में कुछ उत्साहित करने वाली बातें सुन रहा हूं, लेकिन इसकी किसी तरह की गारंटी नहीं है। मुझे यकीन है कि मैं सही कह रहा हूं कि 18 साल के बाद भी हमारे पास सार्स वायरस का वैक्सीन नहीं है।जॉनसन ने कहा मैं आपसे इतना ही कह सकता हूं कि ब्रिटेन वैक्सीन बनाने की अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों में अग्रिम पंक्ति में है।
8 अलग-अलग वैक्सिन पर काम चल रहा
विश्व स्वास्थ्य संगठनने पिछले दिनों स्पष्ट करते हुएकहा थाकि कोरोनो के लिए 8 वैक्सिन पर काम चल रहा है। संगठन केप्रमुखडॉ. टेड्रॉस गेब्रयेससकहा है कि दो महीने पहले तक ऐसा सोचा जा रहा था वैक्सीन बनाने में 1 साल से 18 महीने लगेंगे। हालांकि, अब इस काम में तेजी लाया जा रहा है। एकहफ्ते पहले दुनिया के 40 देशों के नेताओं ने इसके लिए 8 बिलियन डॉलर(करीब 48 हजार करोड़ रु.) की मदद की है, लेकिन यह इस काम के लिए कम पड़ेगा।
अमेरिका में मॉर्डना का वैक्सीन ट्रैक पर
अमेरिका के बोस्टन स्थित बायोटेक कंपनी मॉर्डना ने जिसmRNA वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल किया हैउसके अच्छे नतीजें मिले हैं। कंपनी ने साेमवार को बताया कि इस वैक्सीन सेशरीर में उम्मीद से अच्छी इम्यूनिटी बढ़ी है और साइड इफेक्ट्स भी मामूली हैं।
मॉर्डनाने बताया कि वैक्सीन पाने वालेकैंडिडेट्सका इम्यून सिस्टम वायरस से लड़ने मेंकोविड-19 से रिकवर हो चुकेमरीजों के बराबर या उनसे ज्यादा ताकतवर पाया गया। मॉर्डनाके सीईओस्टीफन बैंसेल ने कहा कि वे इससे बेहतर डेटा की उम्मीद नहीं कर सकते थे।
|
अमेरिका के पहले वैक्सीन mRNA-1273 का इंसानी ट्रायल सफल, बनाने वाली कंपनी मॉर्डना का शेयर 30% तक चढ़ा |
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://bit.ly/2ZjohXZ

No comments:
Post a Comment
Please don’t enter any spam link in the comment