यहां की धरती राजनीतिक रूप से हमेशा से उर्वर रही है। राज्य से लेकर केंद्र तक की राजनीति में अंग क्षेत्र की मजबूत दखल रही है। सत्ता का आशीर्वाद पाए लोग खुद तो उपर चढ़ गए पर भागलपुर टापू ही रहा। चलने लायक सड़कें भले ना हों लेकिन नेता यहां बयानों से हवाई जहाज खूब उड़ाते रहे और लोगों के सपनों पर सियासत करते रहे। बदहाल सड़कों पर जब सवाल उठते हैं तो नेता टेंडर-डीपीआर समझाने लगते हैं। अब भोलानाथ पुल को ही देखिए। नेताओं के बयानों में ये फ्लाईओवर बनता रहा है। चुनाव का मौसम है, सो एक बार फिर से बनने लगा है। जनता तो नाले के बदबूदार पानी में ही डूबती-उतरती-पार होती रही है। यह पुल तो तब से बन रहा है जब अश्विनी चौबे यहां से विधायक थे। 20 साल से इसे लेकर राजनीति जारी है। 3 साल पहले नीतीश ने भी इसे जल्द बनाने का निर्देश दिया था। कागजी घोड़े आज भी सरपट दौड़ रहे हैं। बदहाल एनएच जस का तस मुंह बाए खड़ा है। कहलगांव की 35 किलोमीटर की यात्रा में पांच से छह घंटे तक लग जाते हैं। यही सड़क भागलपुर में विकास की रफ्तार बताती है। आज भी विक्रमशिला सेतु 40 किलोमीटर तक जाम की वजह बनता है। जाम में फंसकर बीच पुल पर किसी महिला का प्रसव हो जाता है तो किसी मरीज का दम टूट जाता है। घोरघट पुल तो वर्षों से झूल रहा है। बीच शहर ट्रैफिक रोजाना घंटों हांफता रहता है। दूसरे चरण में भागलपुर की पांच विधानसभा सीटों के लिए मतदान होना है। एक बार फिर से सपनों के जरिए सत्ता का शतरंज सजाने का दौर जारी है। भागलपुर कांग्रेस के अजीत शर्मा, भाजपा के रोहित पांडेय और लोजपा के राजेश वर्मा के बीच दिलचस्प मुकाबला है। विधायक रहे अजीत को जनता के सवालों से जूझना पड़ रहा है, वहीं भाजपा की अंदरुनी खेमेबाजी भी चरम पर है। बागी विजय साह निर्दलीय व कांग्रेस के बागी सैयद शाह अली सज्जाद रालोसपा से मैदान में हैं। जीत-हार का अंतर कम ही रहेगा। नाथनगर जदयू के लक्ष्मीकांत मंडल और राजद के अली अशरफ सिद्दीकी के बीच मुकाबला है। लेकिन लोजपा ने जदयू के खिलाफ अमर कुशवाहा को मैदान में उतारा है। राजद के बागी अशोक आलोक बसपा की टिकट पर मैदान में हैं। ये इलाका गंगोता, यादव और मुस्लिम बाहुल है। यादव वोटरों में सेंधमारी की स्थिति है लेकिन गंगोता वोट एकजुट है। पीरपैंती मुख्य मुकाबला राजद के रामविलास पासवान और भाजपा के ललन पासवान के बीच है। भाजपा के बागी अमन पासवान ने मुकाबला रोचक बना दिया है। भाजपा के कई नेता और कार्यकर्ता भी अमन के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। सांसद अजय मंडल भी अमन के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं। इसे लेकर सुशील मोदी ने आपत्ति भी जताई है। गोपालपुर यहां बीते 15 साल से जदयू का कब्जा है। यह इलाका गंगोता बहुल है। जदयू के गोपाल मंडल लगातार तीन टर्म से जीतते आ रहे हैं। लेकिन इस बार राह मुश्किलों भरी हैं। कारण यह है कि लोजपा से वैश्य जाति के सुरेश भगत मैदान में हैं। राजद के शैलेश कुमार के वोट बैंक में कहीं से सेंधमारी नहीं है। इसलिए इस बार में थोड़ी राहत महसूस कर रहे हैं। बिहपुर भाजपा से इंजीनियर कुमार शैलेन्द्र और राजद से शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल आमने-सामने हैं। यहां अभी राजद का कब्जा है। बुलो की पत्नी निवर्तमान विधायक हैं। खरीक में गंगोता, बिहपुर में भूमिहार और नारायणपुर यादव बहुल इलाका है लेकिन यहां जीत-हार का फैसला सवर्ण वोटर ही करते हैं। यह तय है कि इस बार यहां टक्कर कांटे की होगी और जीत-हार का अंतर काफी कम का रहेगा। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today प्रतीकात्मक फोटो। - VTM Breaking News

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Monday, November 02, 2020

यहां की धरती राजनीतिक रूप से हमेशा से उर्वर रही है। राज्य से लेकर केंद्र तक की राजनीति में अंग क्षेत्र की मजबूत दखल रही है। सत्ता का आशीर्वाद पाए लोग खुद तो उपर चढ़ गए पर भागलपुर टापू ही रहा। चलने लायक सड़कें भले ना हों लेकिन नेता यहां बयानों से हवाई जहाज खूब उड़ाते रहे और लोगों के सपनों पर सियासत करते रहे। बदहाल सड़कों पर जब सवाल उठते हैं तो नेता टेंडर-डीपीआर समझाने लगते हैं। अब भोलानाथ पुल को ही देखिए। नेताओं के बयानों में ये फ्लाईओवर बनता रहा है। चुनाव का मौसम है, सो एक बार फिर से बनने लगा है। जनता तो नाले के बदबूदार पानी में ही डूबती-उतरती-पार होती रही है। यह पुल तो तब से बन रहा है जब अश्विनी चौबे यहां से विधायक थे। 20 साल से इसे लेकर राजनीति जारी है। 3 साल पहले नीतीश ने भी इसे जल्द बनाने का निर्देश दिया था। कागजी घोड़े आज भी सरपट दौड़ रहे हैं। बदहाल एनएच जस का तस मुंह बाए खड़ा है। कहलगांव की 35 किलोमीटर की यात्रा में पांच से छह घंटे तक लग जाते हैं। यही सड़क भागलपुर में विकास की रफ्तार बताती है। आज भी विक्रमशिला सेतु 40 किलोमीटर तक जाम की वजह बनता है। जाम में फंसकर बीच पुल पर किसी महिला का प्रसव हो जाता है तो किसी मरीज का दम टूट जाता है। घोरघट पुल तो वर्षों से झूल रहा है। बीच शहर ट्रैफिक रोजाना घंटों हांफता रहता है। दूसरे चरण में भागलपुर की पांच विधानसभा सीटों के लिए मतदान होना है। एक बार फिर से सपनों के जरिए सत्ता का शतरंज सजाने का दौर जारी है। भागलपुर कांग्रेस के अजीत शर्मा, भाजपा के रोहित पांडेय और लोजपा के राजेश वर्मा के बीच दिलचस्प मुकाबला है। विधायक रहे अजीत को जनता के सवालों से जूझना पड़ रहा है, वहीं भाजपा की अंदरुनी खेमेबाजी भी चरम पर है। बागी विजय साह निर्दलीय व कांग्रेस के बागी सैयद शाह अली सज्जाद रालोसपा से मैदान में हैं। जीत-हार का अंतर कम ही रहेगा। नाथनगर जदयू के लक्ष्मीकांत मंडल और राजद के अली अशरफ सिद्दीकी के बीच मुकाबला है। लेकिन लोजपा ने जदयू के खिलाफ अमर कुशवाहा को मैदान में उतारा है। राजद के बागी अशोक आलोक बसपा की टिकट पर मैदान में हैं। ये इलाका गंगोता, यादव और मुस्लिम बाहुल है। यादव वोटरों में सेंधमारी की स्थिति है लेकिन गंगोता वोट एकजुट है। पीरपैंती मुख्य मुकाबला राजद के रामविलास पासवान और भाजपा के ललन पासवान के बीच है। भाजपा के बागी अमन पासवान ने मुकाबला रोचक बना दिया है। भाजपा के कई नेता और कार्यकर्ता भी अमन के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। सांसद अजय मंडल भी अमन के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं। इसे लेकर सुशील मोदी ने आपत्ति भी जताई है। गोपालपुर यहां बीते 15 साल से जदयू का कब्जा है। यह इलाका गंगोता बहुल है। जदयू के गोपाल मंडल लगातार तीन टर्म से जीतते आ रहे हैं। लेकिन इस बार राह मुश्किलों भरी हैं। कारण यह है कि लोजपा से वैश्य जाति के सुरेश भगत मैदान में हैं। राजद के शैलेश कुमार के वोट बैंक में कहीं से सेंधमारी नहीं है। इसलिए इस बार में थोड़ी राहत महसूस कर रहे हैं। बिहपुर भाजपा से इंजीनियर कुमार शैलेन्द्र और राजद से शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल आमने-सामने हैं। यहां अभी राजद का कब्जा है। बुलो की पत्नी निवर्तमान विधायक हैं। खरीक में गंगोता, बिहपुर में भूमिहार और नारायणपुर यादव बहुल इलाका है लेकिन यहां जीत-हार का फैसला सवर्ण वोटर ही करते हैं। यह तय है कि इस बार यहां टक्कर कांटे की होगी और जीत-हार का अंतर काफी कम का रहेगा। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today प्रतीकात्मक फोटो।

यहां की धरती राजनीतिक रूप से हमेशा से उर्वर रही है। राज्य से लेकर केंद्र तक की राजनीति में अंग क्षेत्र की मजबूत दखल रही है। सत्ता का आशीर्वाद पाए लोग खुद तो उपर चढ़ गए पर भागलपुर टापू ही रहा। चलने लायक सड़कें भले ना हों लेकिन नेता यहां बयानों से हवाई जहाज खूब उड़ाते रहे और लोगों के सपनों पर सियासत करते रहे।

बदहाल सड़कों पर जब सवाल उठते हैं तो नेता टेंडर-डीपीआर समझाने लगते हैं। अब भोलानाथ पुल को ही देखिए। नेताओं के बयानों में ये फ्लाईओवर बनता रहा है। चुनाव का मौसम है, सो एक बार फिर से बनने लगा है। जनता तो नाले के बदबूदार पानी में ही डूबती-उतरती-पार होती रही है।

यह पुल तो तब से बन रहा है जब अश्विनी चौबे यहां से विधायक थे। 20 साल से इसे लेकर राजनीति जारी है। 3 साल पहले नीतीश ने भी इसे जल्द बनाने का निर्देश दिया था। कागजी घोड़े आज भी सरपट दौड़ रहे हैं। बदहाल एनएच जस का तस मुंह बाए खड़ा है। कहलगांव की 35 किलोमीटर की यात्रा में पांच से छह घंटे तक लग जाते हैं। यही सड़क भागलपुर में विकास की रफ्तार बताती है।

आज भी विक्रमशिला सेतु 40 किलोमीटर तक जाम की वजह बनता है। जाम में फंसकर बीच पुल पर किसी महिला का प्रसव हो जाता है तो किसी मरीज का दम टूट जाता है। घोरघट पुल तो वर्षों से झूल रहा है। बीच शहर ट्रैफिक रोजाना घंटों हांफता रहता है। दूसरे चरण में भागलपुर की पांच विधानसभा सीटों के लिए मतदान होना है। एक बार फिर से सपनों के जरिए सत्ता का शतरंज सजाने का दौर जारी है।

भागलपुर
कांग्रेस के अजीत शर्मा, भाजपा के रोहित पांडेय और लोजपा के राजेश वर्मा के बीच दिलचस्प मुकाबला है। विधायक रहे अजीत को जनता के सवालों से जूझना पड़ रहा है, वहीं भाजपा की अंदरुनी खेमेबाजी भी चरम पर है। बागी विजय साह निर्दलीय व कांग्रेस के बागी सैयद शाह अली सज्जाद रालोसपा से मैदान में हैं। जीत-हार का अंतर कम ही रहेगा।

नाथनगर
जदयू के लक्ष्मीकांत मंडल और राजद के अली अशरफ सिद्दीकी के बीच मुकाबला है। लेकिन लोजपा ने जदयू के खिलाफ अमर कुशवाहा को मैदान में उतारा है। राजद के बागी अशोक आलोक बसपा की टिकट पर मैदान में हैं। ये इलाका गंगोता, यादव और मुस्लिम बाहुल है। यादव वोटरों में सेंधमारी की स्थिति है लेकिन गंगोता वोट एकजुट है।

पीरपैंती
मुख्य मुकाबला राजद के रामविलास पासवान और भाजपा के ललन पासवान के बीच है। भाजपा के बागी अमन पासवान ने मुकाबला रोचक बना दिया है। भाजपा के कई नेता और कार्यकर्ता भी अमन के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। सांसद अजय मंडल भी अमन के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं। इसे लेकर सुशील मोदी ने आपत्ति भी जताई है।

गोपालपुर
यहां बीते 15 साल से जदयू का कब्जा है। यह इलाका गंगोता बहुल है। जदयू के गोपाल मंडल लगातार तीन टर्म से जीतते आ रहे हैं। लेकिन इस बार राह मुश्किलों भरी हैं। कारण यह है कि लोजपा से वैश्य जाति के सुरेश भगत मैदान में हैं। राजद के शैलेश कुमार के वोट बैंक में कहीं से सेंधमारी नहीं है। इसलिए इस बार में थोड़ी राहत महसूस कर रहे हैं।

बिहपुर
भाजपा से इंजीनियर कुमार शैलेन्द्र और राजद से शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल आमने-सामने हैं। यहां अभी राजद का कब्जा है। बुलो की पत्नी निवर्तमान विधायक हैं। खरीक में गंगोता, बिहपुर में भूमिहार और नारायणपुर यादव बहुल इलाका है लेकिन यहां जीत-हार का फैसला सवर्ण वोटर ही करते हैं। यह तय है कि इस बार यहां टक्कर कांटे की होगी और जीत-हार का अंतर काफी कम का रहेगा।



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