कृषि विज्ञान केंद्र आरा एवं जीविका भोजपुर के संयुक्त तत्वावधान में जीविका से जुड़े ग्रामीण संसाधन सेवियों का प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण में 2 दिनों में कुल 70 से ज्यादा प्रतिभागियों ने भाग लिया। जिसमें अगिआंव, संदेश, सहार, आरा और बड़हरा प्रखंड से शामिल थे।
जीविका के प्रबंधक स्नेहा ने कहा कि यह कार्यक्रम मूल रूप से कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित करने का उद्देश्य है कि यहां के विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में हमारे ग्रामीण स्तर की और प्रखंड स्तर की जरूरत थीम है। वर्मी कंपोस्ट एवं पोषण वाटिका के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करके और इसे ग्रामीण स्तर तक पहुंचाने में मददगार साबित होगी।
केवीके हेड डॉ प्रवीण कुमार द्विवेदी ने कहा कि जीविका के माध्यम से निश्चित रूप से यह कार्यक्रम नई ऊंचाइयों पर जाएगा। आज के समय में महिलाएं और बच्चियां सर्वाधिक कुपोषण के शिकार हो चुकी है। यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम इस पर अभी से सजग हो जाएं।
इसमें हमारी जो पोषण वाटिका होगी, इसका बहुत महत्वपूर्ण योगदान होगा। क्योंकि हम अपनी स्वरुचि के अनुसार मौसम के हिसाब से अलग-अलग सब्जियां फल अपने पोषण वाटिका में पैदा करने में सक्षम होंगे और जो बिल्कुल रसायन एवं जहर मुक्त होगा। क्योंकि इनको पैदा करने के लिए हम भूसी की राख,सरसों की खल्ली, भाखड़ा चुना वर्मी कंपोस्ट वेस्ट डी कंपोजर ज्यादा प्रयोग करेंगे। इस प्रकार जो पैदावार होगी वह बहुत ही सिद्ध होगी। वर्मी कंपोस्ट का प्रयोग करने से बहुत सारे कीड़े और बीमारियां हमारी फसलों को प्रभावित करते हैं। उसपर आसानी से नियंत्रण किया जा सकता है।
एक पोषण वाटिका 5-6 लोगों के परिवार के लिए पर्याप्त
कृषि विज्ञान केंद्र की वैज्ञानिक सुप्रिया वर्मा ने पोषण वाटिका के विभिन्न मॉडल की जानकारी देते हुए कहा कि हम 20 फीट लंबे एवं 20 फीट चौड़े एक छोटे से वाटिका में भी 5 से 6 लोगों के परिवार के लिए अच्छी गुणवत्ता पूर्ण सब्जी एवं फल को पैदा करके अपना आर्थिक स्वावलंबन प्राप्त कर सकते हैं।
साथ ही गाजर, पालक, मूली, धनिया, बीन, केला, नींबू, कटहल, चीकू व सहजन के पौधे लगाकर अपने भोजन को बहुत ज्यादा संतुलित कर सकते हैं। डॉ अनिल कुमार यादव ने कहा कि इसके लिए हमारे पास उपलब्ध सभी प्रकार के कृषि अवशेष जैसे गोबर, पुआल,विविध प्रकार के खरपतवार पेड़ों से गिरे हुए पत्ते एवं अवांछित पौधों के साथ ही खेती समाप्त होने के बाद बचे हुए खेतों में पौधे व उनके डंठल इन सभी से हम एक बहुत अच्छे हाल बना सकते हैं। मौके पर जीविका के विशेषज्ञ पदाधिकारी पंकज चक्रवर्ती व अन्य लोग शामिल थे।
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