नौकरी छोड़कर सीएम नीतीश कुमार के साथ राजनीति की नई पारी खेल रहे पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय टिकट की रेस में पूर्व सिपाही से मात खा गए। 16 दिन पहले 22 सितंबर को उन्होंने वीआरएस लेकर जदयू का दामन थामा था। माना जा रहा था कि पार्टी बक्सर से उम्मीदवार बना सकती है। लेकिन बक्सर सीट गठबंधन के तहत भाजपा के पास चली गई। भाजपा ने पूर्व सिपाही परशुराम चतुर्वेदी को टिकट दे दिया। टिकट नहीं मिलने पर पूर्व डीजीपी हताश तो नहीं हुए लेकिन भावुक अंदाज में बोले- ‘राजनीति की कुछ मजबूरियां हैं..। नीतीश किसी को ठगते नहीं हैं।’परशुराम 1991 में सिपाही बने और 1994 में नौकरी छोड़ भाजपा के दिग्गज नेता लालमुनि चौबे के साथ जुड़ गए। हालांकि, चर्चा इस बात की भी थी कि वे वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट से उपचुनाव भी लड़ सकते हैं। लेकिन जदयू ने यहां से सांसद रहे स्व. वैद्यनाथ प्रसाद महतो के बेटे सुनील को प्रत्याशी घोषित कर दिया। गुप्तेश्वर पांडेय को 2009 में भी नहीं मिल सका था टिकट गुप्तेश्वर पांडेय ने 2009 के लोकसभा चुनाव में भी इस्तीफा दिया था। तब उन्हें उम्मीद थी कि बक्सर लोकसभा सीट उनकी झोली में गिरेगी, लेकिन मामला नहीं बना। उस वक्त उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ और वे वापस नौकरी में आ गए थे। 11 साल बाद वे एक बार फिर नौकरी छोड़ राजनीति में उतरे, लेकिन इस बार भी बाजी हाथ नहीं आई। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Former DGP lost to soldier in ticket race, came to politics 16 days ago with VRS - VTM Breaking News

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Friday, October 09, 2020

नौकरी छोड़कर सीएम नीतीश कुमार के साथ राजनीति की नई पारी खेल रहे पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय टिकट की रेस में पूर्व सिपाही से मात खा गए। 16 दिन पहले 22 सितंबर को उन्होंने वीआरएस लेकर जदयू का दामन थामा था। माना जा रहा था कि पार्टी बक्सर से उम्मीदवार बना सकती है। लेकिन बक्सर सीट गठबंधन के तहत भाजपा के पास चली गई। भाजपा ने पूर्व सिपाही परशुराम चतुर्वेदी को टिकट दे दिया। टिकट नहीं मिलने पर पूर्व डीजीपी हताश तो नहीं हुए लेकिन भावुक अंदाज में बोले- ‘राजनीति की कुछ मजबूरियां हैं..। नीतीश किसी को ठगते नहीं हैं।’परशुराम 1991 में सिपाही बने और 1994 में नौकरी छोड़ भाजपा के दिग्गज नेता लालमुनि चौबे के साथ जुड़ गए। हालांकि, चर्चा इस बात की भी थी कि वे वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट से उपचुनाव भी लड़ सकते हैं। लेकिन जदयू ने यहां से सांसद रहे स्व. वैद्यनाथ प्रसाद महतो के बेटे सुनील को प्रत्याशी घोषित कर दिया। गुप्तेश्वर पांडेय को 2009 में भी नहीं मिल सका था टिकट गुप्तेश्वर पांडेय ने 2009 के लोकसभा चुनाव में भी इस्तीफा दिया था। तब उन्हें उम्मीद थी कि बक्सर लोकसभा सीट उनकी झोली में गिरेगी, लेकिन मामला नहीं बना। उस वक्त उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ और वे वापस नौकरी में आ गए थे। 11 साल बाद वे एक बार फिर नौकरी छोड़ राजनीति में उतरे, लेकिन इस बार भी बाजी हाथ नहीं आई। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Former DGP lost to soldier in ticket race, came to politics 16 days ago with VRS

नौकरी छोड़कर सीएम नीतीश कुमार के साथ राजनीति की नई पारी खेल रहे पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय टिकट की रेस में पूर्व सिपाही से मात खा गए। 16 दिन पहले 22 सितंबर को उन्होंने वीआरएस लेकर जदयू का दामन थामा था। माना जा रहा था कि पार्टी बक्सर से उम्मीदवार बना सकती है। लेकिन बक्सर सीट गठबंधन के तहत भाजपा के पास चली गई। भाजपा ने पूर्व सिपाही परशुराम चतुर्वेदी को टिकट दे दिया।
टिकट नहीं मिलने पर पूर्व डीजीपी हताश तो नहीं हुए लेकिन भावुक अंदाज में बोले- ‘राजनीति की कुछ मजबूरियां हैं..। नीतीश किसी को ठगते नहीं हैं।’परशुराम 1991 में सिपाही बने और 1994 में नौकरी छोड़ भाजपा के दिग्गज नेता लालमुनि चौबे के साथ जुड़ गए। हालांकि, चर्चा इस बात की भी थी कि वे वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट से उपचुनाव भी लड़ सकते हैं। लेकिन जदयू ने यहां से सांसद रहे स्व. वैद्यनाथ प्रसाद महतो के बेटे सुनील को प्रत्याशी घोषित कर दिया।

गुप्तेश्वर पांडेय को 2009 में भी नहीं मिल सका था टिकट

गुप्तेश्वर पांडेय ने 2009 के लोकसभा चुनाव में भी इस्तीफा दिया था। तब उन्हें उम्मीद थी कि बक्सर लोकसभा सीट उनकी झोली में गिरेगी, लेकिन मामला नहीं बना। उस वक्त उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ और वे वापस नौकरी में आ गए थे। 11 साल बाद वे एक बार फिर नौकरी छोड़ राजनीति में उतरे, लेकिन इस बार भी बाजी हाथ नहीं आई।



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