पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और संयुक्त राष्ट्र समर्थित एनजीओ यूएन वॉच के बीच मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर जुबानी जंग हुई है। इमरान ने पांच नवंबर को लिखा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर ईश निंदा बर्दाश्त के बाहर है। उनका इशारा संभवतः फ्रांस में चल रहे विवाद को लेकर था।
यूएन वॉच ने इमरान के इस संदेश को शेयर करते हुए जवाब दिया कि आपकी संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार संगठन (यूएनएचआरसी) में मौजूदगी बर्दाश्त के बाहर है। पाकिस्तान के ऊपर देश के अंदर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगते रहे हैं। यूएन वॉच ने 28 सितंबर का अपना एक बयान भी साझा किया है, पाकिस्तान काे यूएनएचआरसी में शामिल किए जाने का विराेध किया गया है।
फ्रांस में शिक्षक की हत्या का समर्थन किया है पाकिस्तानी नेताओं ने
फ्रांस में कार्टून विवाद के कारण एक शिक्षक की गला काटकर हत्या कर दी गई थी। इमरान खान सहित कई पाकिस्तानी नेताओं ने इस हत्या को परोक्ष रूप से सही करार दिया था। वे बार-बार कहते रहे हैं कि बोलने की आजादी के नाम पर धर्म की आलोचना या ईश निंदा नहीं होनी चाहिए।
भारत भी पाकिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन के मामले उठाता रहा है। भारत का आरोप है कि पाकिस्तान सिंध, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में लगातार लोगों को प्रताड़ित कर रहा है।
चीन के मुसलमानों को लेकर क्यों नहीं बोलता पाकिस्तान
इमरान खान के मीडिया सलाहकार अर्सलान खालिद ने यूएन वाच पर मुसलमानों के खिलाफ पूर्वाग्रही हाेने का आराेप लगाया है और कहा कि यह इजरायल समर्थक एनजीओ है। इस एनजीओ का संयुक्त राष्ट्र से कोई लेना-देना नहीं है। इस पर पलटवार करते हुए यूएन वॉच ने कहा कि पाकिस्तान मुसलमानों का रक्षक होने का ढोंग करता है। वह चीन के शिनझियांग प्रांत में 10 लाख से ज्यादा वीगर मुसलमानों के मानवाधिकारों के हनन पर कुछ नहीं बाेलता।
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