विधानसभा चुनाव के बीच आयकर विभाग ने राज्य के प्रमुख ठेकेदारों के गड़बड़झाले की कब्र खोदनी शुरू कर दी है। गुरुवार से पटना सहित पांच जिलों में जारी कार्रवाई के दौरान आयकर को इनके ठिकानों से कई सनसनीखेज दस्तावेज मिले हैं। दस्तावेजों की स्क्रूटनी जारी है और उसके आधार पर जांच भी आगे बढ़ रही है। सूत्रों के अनुसार एक ठेकेदार के ठिकानों से आयकर को मिले दस्तावेज में यह बात सामने आई है कि बिना सर्विस और आपूर्ति के साक्ष्य के भुगतान किए गए। इतना ही नहीं फर्जी पार्टियों को भुगतान दिखाया गया और दस्तावेजों में फर्जी खरीद के भी संकेत मिले हैं। दिलचस्प यह है कि जिन पार्टियों से फर्जी खरीद की बात दिखाई जा रही है उनका अस्तित्व ही नहीं है, लेकिन उन्हें लेनदार के तौर पर दिखाया गया। ऐसे लेनदारों के नाम पर 20 करोड़ की रकम दिखाई गई जिसके दस्तावेज आयकर के हाथ लगे हैं। इसके अलावा फर्जी पार्टियों के नाम पर बैंक दस्तावेज, खाते और अन्य दस्तावेजों का पता चला है, जिनकी जांच आयकर विभाग कर रहा है। दस्तावेजों और फील्ड जांच के दौरान यह बात भी सामने आई है कि इन पार्टियों का अस्तित्व ही नहीं है और एक ठेकेदार द्वारा इन कंपनियों के नाम पर बैंक खाता खोलकर संचालित किए जा रहे थे। एक अन्य ठेकेदार के ठिकानों से आयकर को जो दस्तावेज मिले हैं उसमें यह बात भी सामने आई है कि खर्च को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया जा रहा था और उसके एवज में किए गए भुगतान को ठेकेदार के ही लोग बैंक से निकाल रहे थे। यह भी पता चला कि मजदूरों के भुगतान के नाम पर करीब 15 करोड़ दिखाए गए थे लेकिन सर्च के दौरान यह भी फर्जी पाया गया। चेक से फर्जी खरीद की जा रही थी और वह रकम कैश में वापस आ जाती थी एक ठेकेदार के ठिकानों से बढ़ा हुआ खर्च दिखा कर 15 करोड़ की गड़बड़ी का पता चला है। इस ग्रुप ने बिहार के अलावा ओडिशा और मध्यप्रदेश में प्रॉपर्टी में निवेश कर रखा है। एक अन्य मामले में यह बात भी सामने आई है कि चेक से फर्जी खरीद की जा रही थी और वह रकम कैश में वापस आ जाती थी। इससे होने वाली कमाई को संपत्तियों की खरीद और व्यावसायिक भवनों के निर्माण में इन्वेस्ट किया जाता था। इस मोडस ओपेरेंडी से करीब 10 करोड़ की कमाई का पता चला है। गौरतलब है कि आयकर विभाग पटना, भागलपुर, हिलसा, कटिहार और गया में करीब एक दर्जन ठेकेदारों के ठिकानों पर सर्च और सर्वे कर रहा था। इसमें पटना के दो बड़े सरकारी ठेकेदार का भी नाम सामने आया है। इसके अलावा स्टोन चिप्स के कारोबार से जुड़े गया के कई व्यवसायियों के ठिकाने पर भी आयकर ने दबिश बनाई है। गया से आयकर की टीम ने करीब 8 करोड़ रुपए कैश जब्त किए हैं। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today आयकर विभाग पटना, भागलपुर, हिलसा, कटिहार और गया में करीब एक दर्जन ठेकेदारों के ठिकानों पर सर्च और सर्वे कर रहा था। इसमें पटना के दो बड़े सरकारी ठेकेदार का भी नाम सामने आया है। - VTM Breaking News

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Sunday, November 01, 2020

विधानसभा चुनाव के बीच आयकर विभाग ने राज्य के प्रमुख ठेकेदारों के गड़बड़झाले की कब्र खोदनी शुरू कर दी है। गुरुवार से पटना सहित पांच जिलों में जारी कार्रवाई के दौरान आयकर को इनके ठिकानों से कई सनसनीखेज दस्तावेज मिले हैं। दस्तावेजों की स्क्रूटनी जारी है और उसके आधार पर जांच भी आगे बढ़ रही है। सूत्रों के अनुसार एक ठेकेदार के ठिकानों से आयकर को मिले दस्तावेज में यह बात सामने आई है कि बिना सर्विस और आपूर्ति के साक्ष्य के भुगतान किए गए। इतना ही नहीं फर्जी पार्टियों को भुगतान दिखाया गया और दस्तावेजों में फर्जी खरीद के भी संकेत मिले हैं। दिलचस्प यह है कि जिन पार्टियों से फर्जी खरीद की बात दिखाई जा रही है उनका अस्तित्व ही नहीं है, लेकिन उन्हें लेनदार के तौर पर दिखाया गया। ऐसे लेनदारों के नाम पर 20 करोड़ की रकम दिखाई गई जिसके दस्तावेज आयकर के हाथ लगे हैं। इसके अलावा फर्जी पार्टियों के नाम पर बैंक दस्तावेज, खाते और अन्य दस्तावेजों का पता चला है, जिनकी जांच आयकर विभाग कर रहा है। दस्तावेजों और फील्ड जांच के दौरान यह बात भी सामने आई है कि इन पार्टियों का अस्तित्व ही नहीं है और एक ठेकेदार द्वारा इन कंपनियों के नाम पर बैंक खाता खोलकर संचालित किए जा रहे थे। एक अन्य ठेकेदार के ठिकानों से आयकर को जो दस्तावेज मिले हैं उसमें यह बात भी सामने आई है कि खर्च को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया जा रहा था और उसके एवज में किए गए भुगतान को ठेकेदार के ही लोग बैंक से निकाल रहे थे। यह भी पता चला कि मजदूरों के भुगतान के नाम पर करीब 15 करोड़ दिखाए गए थे लेकिन सर्च के दौरान यह भी फर्जी पाया गया। चेक से फर्जी खरीद की जा रही थी और वह रकम कैश में वापस आ जाती थी एक ठेकेदार के ठिकानों से बढ़ा हुआ खर्च दिखा कर 15 करोड़ की गड़बड़ी का पता चला है। इस ग्रुप ने बिहार के अलावा ओडिशा और मध्यप्रदेश में प्रॉपर्टी में निवेश कर रखा है। एक अन्य मामले में यह बात भी सामने आई है कि चेक से फर्जी खरीद की जा रही थी और वह रकम कैश में वापस आ जाती थी। इससे होने वाली कमाई को संपत्तियों की खरीद और व्यावसायिक भवनों के निर्माण में इन्वेस्ट किया जाता था। इस मोडस ओपेरेंडी से करीब 10 करोड़ की कमाई का पता चला है। गौरतलब है कि आयकर विभाग पटना, भागलपुर, हिलसा, कटिहार और गया में करीब एक दर्जन ठेकेदारों के ठिकानों पर सर्च और सर्वे कर रहा था। इसमें पटना के दो बड़े सरकारी ठेकेदार का भी नाम सामने आया है। इसके अलावा स्टोन चिप्स के कारोबार से जुड़े गया के कई व्यवसायियों के ठिकाने पर भी आयकर ने दबिश बनाई है। गया से आयकर की टीम ने करीब 8 करोड़ रुपए कैश जब्त किए हैं। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today आयकर विभाग पटना, भागलपुर, हिलसा, कटिहार और गया में करीब एक दर्जन ठेकेदारों के ठिकानों पर सर्च और सर्वे कर रहा था। इसमें पटना के दो बड़े सरकारी ठेकेदार का भी नाम सामने आया है।

विधानसभा चुनाव के बीच आयकर विभाग ने राज्य के प्रमुख ठेकेदारों के गड़बड़झाले की कब्र खोदनी शुरू कर दी है। गुरुवार से पटना सहित पांच जिलों में जारी कार्रवाई के दौरान आयकर को इनके ठिकानों से कई सनसनीखेज दस्तावेज मिले हैं। दस्तावेजों की स्क्रूटनी जारी है और उसके आधार पर जांच भी आगे बढ़ रही है।

सूत्रों के अनुसार एक ठेकेदार के ठिकानों से आयकर को मिले दस्तावेज में यह बात सामने आई है कि बिना सर्विस और आपूर्ति के साक्ष्य के भुगतान किए गए। इतना ही नहीं फर्जी पार्टियों को भुगतान दिखाया गया और दस्तावेजों में फर्जी खरीद के भी संकेत मिले हैं। दिलचस्प यह है कि जिन पार्टियों से फर्जी खरीद की बात दिखाई जा रही है उनका अस्तित्व ही नहीं है, लेकिन उन्हें लेनदार के तौर पर दिखाया गया।

ऐसे लेनदारों के नाम पर 20 करोड़ की रकम दिखाई गई जिसके दस्तावेज आयकर के हाथ लगे हैं। इसके अलावा फर्जी पार्टियों के नाम पर बैंक दस्तावेज, खाते और अन्य दस्तावेजों का पता चला है, जिनकी जांच आयकर विभाग कर रहा है। दस्तावेजों और फील्ड जांच के दौरान यह बात भी सामने आई है कि इन पार्टियों का अस्तित्व ही नहीं है और एक ठेकेदार द्वारा इन कंपनियों के नाम पर बैंक खाता खोलकर संचालित किए जा रहे थे।

एक अन्य ठेकेदार के ठिकानों से आयकर को जो दस्तावेज मिले हैं उसमें यह बात भी सामने आई है कि खर्च को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया जा रहा था और उसके एवज में किए गए भुगतान को ठेकेदार के ही लोग बैंक से निकाल रहे थे। यह भी पता चला कि मजदूरों के भुगतान के नाम पर करीब 15 करोड़ दिखाए गए थे लेकिन सर्च के दौरान यह भी फर्जी पाया गया।
चेक से फर्जी खरीद की जा रही थी और वह रकम कैश में वापस आ जाती थी

एक ठेकेदार के ठिकानों से बढ़ा हुआ खर्च दिखा कर 15 करोड़ की गड़बड़ी का पता चला है। इस ग्रुप ने बिहार के अलावा ओडिशा और मध्यप्रदेश में प्रॉपर्टी में निवेश कर रखा है। एक अन्य मामले में यह बात भी सामने आई है कि चेक से फर्जी खरीद की जा रही थी और वह रकम कैश में वापस आ जाती थी। इससे होने वाली कमाई को संपत्तियों की खरीद और व्यावसायिक भवनों के निर्माण में इन्वेस्ट किया जाता था।

इस मोडस ओपेरेंडी से करीब 10 करोड़ की कमाई का पता चला है। गौरतलब है कि आयकर विभाग पटना, भागलपुर, हिलसा, कटिहार और गया में करीब एक दर्जन ठेकेदारों के ठिकानों पर सर्च और सर्वे कर रहा था। इसमें पटना के दो बड़े सरकारी ठेकेदार का भी नाम सामने आया है। इसके अलावा स्टोन चिप्स के कारोबार से जुड़े गया के कई व्यवसायियों के ठिकाने पर भी आयकर ने दबिश बनाई है। गया से आयकर की टीम ने करीब 8 करोड़ रुपए कैश जब्त किए हैं।



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आयकर विभाग पटना, भागलपुर, हिलसा, कटिहार और गया में करीब एक दर्जन ठेकेदारों के ठिकानों पर सर्च और सर्वे कर रहा था। इसमें पटना के दो बड़े सरकारी ठेकेदार का भी नाम सामने आया है।


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