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Saturday, October 10, 2020

https://ift.tt/3dm2QuE कोरोना ने 2 तरह से बिगाड़ी मेंटल हेल्थ, संक्रमित मरीजों में सिररदर्द के मामले बढ़े, अकेलेपन ने डिप्रेशन और तनाव बढ़ाया; जानिए इससे कैसे निपटें

कोरोना दो तरह से दिमाग को नुकसान पहुंचा रहा है। पहला, यह मरीजों में दिमाग तक अपना असर छोड़ रहा है, उनमें सिरदर्द के मामले सामने आ रहे हैं। दूसरा, उन लोगों में तनाव और डिप्रेशन के मामले बढ़े रहे हैं जो संक्रमण से डर रहे हैं, कोरोना के कारण नौकरी जाने से परेशान हैं और महामारी में अकेले पड़ गए हैं।

स्मार्ट हेल्थकेयर प्लेटफार्म GOQii की हालिया रिसर्च बताती है, देश में कोरोना के आने के बाद 43 फीसदी आबादी डिप्रेशन से जूझ रही है। यह रिसर्च 10 हजार भारतीयों पर की गई है।

आज वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे है। कोरोनाकाल में यह समझें कि वायरस कैसे दिमाग पर असर छोड़ रहा है और मेंटल डिसऑर्डर से कैसे निपटें...

कोरोनाकाल में दो तरह से मेंटल हेल्थ का ध्यान रखना जरूरी

  • पहला : कोरोना दिमाग के लिए कितना खतरनाक, इन 4 पॉइंटस से समझें

1. नाक के जरिए दिमाग तक पहुंचकर अपनी संख्या बढ़ा सकता है कोरोना
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की रिसर्च कहती है, कोरोनावायरस ब्रेन में पहुंचकर अपनी संख्या बढ़ा सकता है और मस्तिष्क में ऑक्सीजन का लेवल घटा सकता है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल बायोलॉजी, कोलकाता के वैज्ञानिकों का कहना है, कोरोना नाक के जरिए ब्रेन के उस हिस्से तक पहुंच सकता है जो सांस लेने की क्षमता को कंट्रोल करता है। दुनियाभर में कोरोना के सैकड़ों ऐसे मामले आए हैं, जिनमें कोरोना का असर सीधे तौर पर दिमाग पर देखा गया है।

2. मरीज अपना नाम तक नहीं बता पाया, जांच में ब्रेन स्ट्रोक की पुष्टि हुई
अमेरिका में मार्च में कोरोना का चौकाने वाला मामला आया। खांसी-बुखार के लक्षणों के बाद 74 साल के शख्स को अस्पताल लाया गया। सांस लेने में तकलीफ इतनी बढ़ी कि वो अपना नाम तक नहीं बता पा रहा था। हाथ-पैर को मूव करने में दिक्कत हो रही थी। डॉक्टरों ने दिमाग की जांच कि तो पाया उसे ब्रेन स्ट्रोक भी हुआ था।

3. संक्रमण के बाद सिरदर्द शुरू हुआ, जांच में दिमागी सूजन कंफर्म हुई
अमेरिका के मिशिगन में एयरलाइन में काम करने वाली 50 साल एक महिला को संक्रमण हुआ। उसे तेज सिरदर्द का लक्षण दिखा। डॉक्टर से बातचीत करते हुए उसकी बोलने की रफ्तार धीरे-धीरे कम हो गई। ब्रेन स्कैनिंग की गई तो पता चला दिमाग के कई हिस्सों में सूजन है। डॉक्टरों ने इसे 'एक्यूट नेक्रोटाइजिंग एनसेफेलोपैथी' का नाम दिया।

हेनरी फोर्ड हेल्थ सिस्टम की न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. एजिसा फोरे के मुताबिक, संक्रमण के बाद कुछ दिनों में दिमाग में सूजन आती है और लगातार बनी रहती है। ऐसे मामले सामने आएहैं। यह मामला भी बताता है कि दुर्लभ स्थिति में कोरोनावायरस दिमाग को भी भेद सकता है।

4. कोरोनो के मरीजों में ब्रेन स्ट्रोक, दिमाग में खून के थक्के जमने के लक्षण भी दिखे
इटली की ब्रेसिका यूनिवर्सिटी के हॉस्पिटल के डॉ. एलेसेंड्रो पेडोवानी कहते हैं, संक्रमण के बाद कोरोना पीड़ितों में मस्तिष्क से जुड़े लक्षण दिख रहे हैं। इनमें ब्रेन स्ट्रोक, दिमागी दौरे, एनसेफेलाइटिस के लक्षण, दिमाग में खून के थक्के जमना, सुन्न हो जाना जैसी स्थितियां शामिल हैं। कुछ मामलों में कोरोना का मरीज बुखार और सांस में तकलीफ जैसे लक्षण दिखने से पहले ही बेसुध हो जाता है। ऐसे लक्षण दिखने पर अलर्ट हो जाएं।

दूसरा : घर में रह रहे डिप्रेशन, स्ट्रेस और बेचैनी से ऐसे निपटें

1. कोरोनाकाल में क्यों बढ़ा स्ट्रेस और डिप्रेशन
साइकोलॉजिस्ट डॉ. अनामिका पापड़ीवाल कहती हैं, कोरोनाकाल में डिप्रेशन और स्ट्रेस कई कारणों से बढ़ा है। किसी को संक्रमण का डर है तो किसी की नौकरी चली गई है। कोई घर के सदस्यों के पॉजिटिव आने के बाद तनाव में रहा। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो लम्बे समय तक घर में रहने के कारण भी तनाव और स्ट्रेस से जूझते रहे। यह तनाव अभी भी पूरी तरह से मन से नहीं निकला है। इसलिए जब तक वैक्सीन नहीं है बचाव को ही वैक्सीन समझें और मन से डर को निकालें।

2. कैसे समझें मेंटल डिसऑर्डर से जूझ रहे हैं
डॉ. अनामिका के मुताबिक, हर समय उदास रहना, काम में मन न लगना, भूख और प्यास का होश न रहना और हमेशा निगेटिव बातें करना मेंटल डिसऑर्डर के लक्षण हो सकते हैं। इसके अलावा हर चीज में कमी निकालना, अधिक समय तक सोना और अलग-थलग रहना जैसे लक्षणों से जूझ रहे हैं तो अलर्ट हो जाएं। फैमिली मेम्बर या कोई करीबी में ये लक्षण दिखते हैं तो मनोरोग चिकित्सक से सलाह लें।

3. मेंटल हेल्थ को दुरुस्त रखने के 5 तरीके

  • अपनों से बात करना न छोड़ें : घरवालों, दोस्तों, कलीग और रिश्तेदारों से दूरी न बनाएं। कॉलिंग, मैसेज, कॉन्फ्रेंसिंग की मदद से इनसे कनेक्ट रहें। डॉ. अनामिका कहती है, जब हम लोगों बात करते रहते हैं तो मन में नकारात्मक विचार कम पनपते हैं। तनाव और डिप्रेशन के मामले ज्यादातर अकेलापन महसूस करने के कारण सामने आते हैं।
  • खुद को व्यस्त रखें : मेंटल हेल्थ को बेहतर रखने का सबसे अच्छा तरीका है, खुद को उन कामों में व्यस्त रखें जो आपको करना पसंद है। जैसे- राइटिंग, गार्डनिंग, डांसिंग, वर्कआउट आदि। घर पर रहते हुए अपनी स्किल्स को तराशें ताकि दिमाग में नेगेटिव थॉट्स की एंट्री न हो सके।
  • अधूरे कामों को निपटाएं : डॉ. अनामिका कहती हैं, कोरोनाकाल में हजारों लोग बेरोजगार हुए हैं। ये तनाव से जूझ रहे हैं। इस समय ये ध्यान रखें कि एक रास्ता बंद हुआ लेकिन सबकुछ खत्म नहीं हुआ। दिमाग को शांत रखकर दूसरी नौकरी तलाशें। इस दौरान अपने अधूरे कामों को निपटाएं। इनदिनों ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से भी कमाई की जा सकती है, इसलिए घर में रहते हुए कुछ नया शुरू करने की कोशिश करें।
  • म्यूजिक सुनें : म्यूजिक उदास मन में एनर्जी भरने का काम करता है। यह रिसर्च में भी साबित हो चुका है। जब कभी भी तनाव या डिप्रेशन से जूझें तो बीच-बीच में म्यूजिक सुनें। यह मन में ऐसे हार्मोन को रिलीज करने में मदद करता जो आपको खुश रखते हैं।
  • हर वक्त घर में बंद रहना भी ठीक नहीं : कोरोनाकाल में पहली बार लोग इतने लम्बे समय तक घर में रहे हैं। मास्क लगातार सुबह वॉक के लिए जा सकते हैं। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखें। सुबह की वॉक मन में ताजगी लाने का काम करेगी।


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