बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना, मौजमपुर के अंतर्गत वाटर ट्रीटमेंट प्लांट नूरपुर से 64 लाख लीटर पानी प्रतिदिन सप्लाई पेयजल के लिए 11 पानी टंकी में भेजा जाता है। लेकिन यह स्वच्छ पानी ग्रामीणों को नसीब नहीं हो रहा है। ग्रामीण गंंदे व आर्सेनिक युक्त पानी पीने पर विवश हैं। यह हाल बिहार के इकलौते वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, मौजमपुर-नूरपुर का है। लोगों को शुद्ध पेयजल नही मिलने से लोगो के बीच आक्रोश है। गंगा नदी के तटीय इलाके में भारी मात्रा में पानी में मौजूद आर्सेनिक के वजह से बिहार सरकार ने क्षेत्र के लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए वर्ष 2004 में 54 करोड़ रुपये के लागत से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का सरकार ने निर्माण कराया था। इस प्लांट से 11 पंचायतों में बने पानी टंकी तक पानी पहुंचाना होता है। परंतु दुर्भाग्य है कि सभी पंचायतों में पानी टंकी तक पानी नही पहुचता। जिसमें फरहदा गांव में पानी टंकी 6 माह से बंद व ठप है। इसके पूर्व के वर्ष में पाईप टूटने से जलापूर्ति बाधित हो गया था। जिसे वर्ष 17-4-2019 में बारिश के पानी से पाईप के नीचे का जमीन बहने से टूट गया था। जिसे एक सप्ताह में ठीक कराया गया था। फिर साल 2020 में करीब 6 माह से पाईप धंसने से जलापूर्ति ठप है। इस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। फरहदा गांव के पानी टंकी से तुलसी छपरा, फरहदा व शिवपुर गांव को पेयजल का पानी नहीं मिल रहा है। कृष्णागढ़ गांव में 6 माह से पानी नहीं पहुंच रहा। पकड़ी गांव में 6 माह से कभी-कभी लोगो को पेयजल मिल पाता है। सिन्हा, बलुआ व पीपरपांती गांवों में अनियमित जलापूर्ति होती है। बलुआ पंचायत के टोला अचरज लाल में वर्ष 2016 में आई भीषण बाढ़ में पाईप टूटकर बह गया। जिसे आज तक विभाग ने ठीक नहीं कराया। मिल्की गांव के पानी टंकी से सप्लाई पाईप घांघर गांव तक लिकेज होने से बाधित है। उसे भी ठीक नही कराया गया। नथमलपुर गांव में भी काफी लोगों को पानी नहीं पहुंचता है। 45 गांव व टोले को पेयजल पहुंचाता है वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बहुग्रामीण पाईप जलापूर्ति योजना मौजमपुर 45 गांव व टोले को पेयजल सप्लाई करता है। लेकिन कई गांव में स्टैंड पोस्ट, टोटी टूटे व गायब है। कहीं पानी बेकार में बह रहा है। कहीं गंदा पानी लिकेज पाईप के माध्यम से घरों में पहुंच रहा है। प्लांट के पानी की गुणवत्ता...मिनरल वाटर से भी शुद्ध यह सयंत्र आधुनिक तकनीक से बना है। गंगाजल के पानी को प्लांट में साफ करने के बाद लोगो के घर तक पाईप लाईन से पेयजल हेतु मुहैया कराया जाता है। विशेषज्ञों ने बताया कि इस पेयजल के पीने से गैस, एसीडीटी, चर्मरोग, पेट संबंधित कई प्रकार के बीमारियों में लाभदायक सिद्ध होता हैं। जांच में पाया गया है कि मिनरल वाटर से ज्यादा शुद्धता है। क्या कहते हैं लोग नथमलपुुुर गांव निवासी शैलेंद्र कुंवर ने बताया कि गांव में 6 माह से वाटर प्लांट से गांंव में पानी नहीं आता है। ज्ञानपुर, बालू चौक, सेमरिया मेें पानी लगातार मिल रहा है। फरहदा गांव केे वार्ड 12 के सदस्य राज किशोर सिंह ने बताया कि गांव में 8 माह सें एक बूंद पानी नही पहुचा। शिवपुर का हाल इससे भी बदतर है। सिंधु सिंह व ढेमन सिंह ने बताया कि एक साल से अधिक हो गया। वर्ष 2019 के मई महीना में दो-तीन दिन पानी ग्रामीणों को मिला था। उसके बाद बंद है। चुनावों के बाद दूर हो समस्या अभी चुनाव में व्यस्त है। कही भी गड़बड़ी होगी उसे जांच करा जल्द ठीक करा दिया जायेगा। -मनोज कुमार सिंह, एक्सक्यूटिव इंजीनियर, पीएचडी विभाग, आरा Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Treatment plant to protect against arsenic, but people are not getting water - VTM Breaking News

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Wednesday, October 07, 2020

बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना, मौजमपुर के अंतर्गत वाटर ट्रीटमेंट प्लांट नूरपुर से 64 लाख लीटर पानी प्रतिदिन सप्लाई पेयजल के लिए 11 पानी टंकी में भेजा जाता है। लेकिन यह स्वच्छ पानी ग्रामीणों को नसीब नहीं हो रहा है। ग्रामीण गंंदे व आर्सेनिक युक्त पानी पीने पर विवश हैं। यह हाल बिहार के इकलौते वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, मौजमपुर-नूरपुर का है। लोगों को शुद्ध पेयजल नही मिलने से लोगो के बीच आक्रोश है। गंगा नदी के तटीय इलाके में भारी मात्रा में पानी में मौजूद आर्सेनिक के वजह से बिहार सरकार ने क्षेत्र के लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए वर्ष 2004 में 54 करोड़ रुपये के लागत से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का सरकार ने निर्माण कराया था। इस प्लांट से 11 पंचायतों में बने पानी टंकी तक पानी पहुंचाना होता है। परंतु दुर्भाग्य है कि सभी पंचायतों में पानी टंकी तक पानी नही पहुचता। जिसमें फरहदा गांव में पानी टंकी 6 माह से बंद व ठप है। इसके पूर्व के वर्ष में पाईप टूटने से जलापूर्ति बाधित हो गया था। जिसे वर्ष 17-4-2019 में बारिश के पानी से पाईप के नीचे का जमीन बहने से टूट गया था। जिसे एक सप्ताह में ठीक कराया गया था। फिर साल 2020 में करीब 6 माह से पाईप धंसने से जलापूर्ति ठप है। इस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। फरहदा गांव के पानी टंकी से तुलसी छपरा, फरहदा व शिवपुर गांव को पेयजल का पानी नहीं मिल रहा है। कृष्णागढ़ गांव में 6 माह से पानी नहीं पहुंच रहा। पकड़ी गांव में 6 माह से कभी-कभी लोगो को पेयजल मिल पाता है। सिन्हा, बलुआ व पीपरपांती गांवों में अनियमित जलापूर्ति होती है। बलुआ पंचायत के टोला अचरज लाल में वर्ष 2016 में आई भीषण बाढ़ में पाईप टूटकर बह गया। जिसे आज तक विभाग ने ठीक नहीं कराया। मिल्की गांव के पानी टंकी से सप्लाई पाईप घांघर गांव तक लिकेज होने से बाधित है। उसे भी ठीक नही कराया गया। नथमलपुर गांव में भी काफी लोगों को पानी नहीं पहुंचता है। 45 गांव व टोले को पेयजल पहुंचाता है वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बहुग्रामीण पाईप जलापूर्ति योजना मौजमपुर 45 गांव व टोले को पेयजल सप्लाई करता है। लेकिन कई गांव में स्टैंड पोस्ट, टोटी टूटे व गायब है। कहीं पानी बेकार में बह रहा है। कहीं गंदा पानी लिकेज पाईप के माध्यम से घरों में पहुंच रहा है। प्लांट के पानी की गुणवत्ता...मिनरल वाटर से भी शुद्ध यह सयंत्र आधुनिक तकनीक से बना है। गंगाजल के पानी को प्लांट में साफ करने के बाद लोगो के घर तक पाईप लाईन से पेयजल हेतु मुहैया कराया जाता है। विशेषज्ञों ने बताया कि इस पेयजल के पीने से गैस, एसीडीटी, चर्मरोग, पेट संबंधित कई प्रकार के बीमारियों में लाभदायक सिद्ध होता हैं। जांच में पाया गया है कि मिनरल वाटर से ज्यादा शुद्धता है। क्या कहते हैं लोग नथमलपुुुर गांव निवासी शैलेंद्र कुंवर ने बताया कि गांव में 6 माह से वाटर प्लांट से गांंव में पानी नहीं आता है। ज्ञानपुर, बालू चौक, सेमरिया मेें पानी लगातार मिल रहा है। फरहदा गांव केे वार्ड 12 के सदस्य राज किशोर सिंह ने बताया कि गांव में 8 माह सें एक बूंद पानी नही पहुचा। शिवपुर का हाल इससे भी बदतर है। सिंधु सिंह व ढेमन सिंह ने बताया कि एक साल से अधिक हो गया। वर्ष 2019 के मई महीना में दो-तीन दिन पानी ग्रामीणों को मिला था। उसके बाद बंद है। चुनावों के बाद दूर हो समस्या अभी चुनाव में व्यस्त है। कही भी गड़बड़ी होगी उसे जांच करा जल्द ठीक करा दिया जायेगा। -मनोज कुमार सिंह, एक्सक्यूटिव इंजीनियर, पीएचडी विभाग, आरा Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Treatment plant to protect against arsenic, but people are not getting water

बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना, मौजमपुर के अंतर्गत वाटर ट्रीटमेंट प्लांट नूरपुर से 64 लाख लीटर पानी प्रतिदिन सप्लाई पेयजल के लिए 11 पानी टंकी में भेजा जाता है। लेकिन यह स्वच्छ पानी ग्रामीणों को नसीब नहीं हो रहा है। ग्रामीण गंंदे व आर्सेनिक युक्त पानी पीने पर विवश हैं। यह हाल बिहार के इकलौते वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, मौजमपुर-नूरपुर का है। लोगों को शुद्ध पेयजल नही मिलने से लोगो के बीच आक्रोश है।

गंगा नदी के तटीय इलाके में भारी मात्रा में पानी में मौजूद आर्सेनिक के वजह से बिहार सरकार ने क्षेत्र के लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए वर्ष 2004 में 54 करोड़ रुपये के लागत से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का सरकार ने निर्माण कराया था। इस प्लांट से 11 पंचायतों में बने पानी टंकी तक पानी पहुंचाना होता है।

परंतु दुर्भाग्य है कि सभी पंचायतों में पानी टंकी तक पानी नही पहुचता। जिसमें फरहदा गांव में पानी टंकी 6 माह से बंद व ठप है। इसके पूर्व के वर्ष में पाईप टूटने से जलापूर्ति बाधित हो गया था। जिसे वर्ष 17-4-2019 में बारिश के पानी से पाईप के नीचे का जमीन बहने से टूट गया था। जिसे एक सप्ताह में ठीक कराया गया था। फिर साल 2020 में करीब 6 माह से पाईप धंसने से जलापूर्ति ठप है। इस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

फरहदा गांव के पानी टंकी से तुलसी छपरा, फरहदा व शिवपुर गांव को पेयजल का पानी नहीं मिल रहा है। कृष्णागढ़ गांव में 6 माह से पानी नहीं पहुंच रहा। पकड़ी गांव में 6 माह से कभी-कभी लोगो को पेयजल मिल पाता है। सिन्हा, बलुआ व पीपरपांती गांवों में अनियमित जलापूर्ति होती है।

बलुआ पंचायत के टोला अचरज लाल में वर्ष 2016 में आई भीषण बाढ़ में पाईप टूटकर बह गया। जिसे आज तक विभाग ने ठीक नहीं कराया। मिल्की गांव के पानी टंकी से सप्लाई पाईप घांघर गांव तक लिकेज होने से बाधित है। उसे भी ठीक नही कराया गया। नथमलपुर गांव में भी काफी लोगों को पानी नहीं पहुंचता है।

45 गांव व टोले को पेयजल पहुंचाता है वाटर ट्रीटमेंट प्लांट

बहुग्रामीण पाईप जलापूर्ति योजना मौजमपुर 45 गांव व टोले को पेयजल सप्लाई करता है। लेकिन कई गांव में स्टैंड पोस्ट, टोटी टूटे व गायब है। कहीं पानी बेकार में बह रहा है। कहीं गंदा पानी लिकेज पाईप के माध्यम से घरों में पहुंच रहा है।

प्लांट के पानी की गुणवत्ता...मिनरल वाटर से भी शुद्ध

यह सयंत्र आधुनिक तकनीक से बना है। गंगाजल के पानी को प्लांट में साफ करने के बाद लोगो के घर तक पाईप लाईन से पेयजल हेतु मुहैया कराया जाता है। विशेषज्ञों ने बताया कि इस पेयजल के पीने से गैस, एसीडीटी, चर्मरोग, पेट संबंधित कई प्रकार के बीमारियों में लाभदायक सिद्ध होता हैं। जांच में पाया गया है कि मिनरल वाटर से ज्यादा शुद्धता है।

क्या कहते हैं लोग

नथमलपुुुर गांव निवासी शैलेंद्र कुंवर ने बताया कि गांव में 6 माह से वाटर प्लांट से गांंव में पानी नहीं आता है। ज्ञानपुर, बालू चौक, सेमरिया मेें पानी लगातार मिल रहा है। फरहदा गांव केे वार्ड 12 के सदस्य राज किशोर सिंह ने बताया कि गांव में 8 माह सें एक बूंद पानी नही पहुचा। शिवपुर का हाल इससे भी बदतर है। सिंधु सिंह व ढेमन सिंह ने बताया कि एक साल से अधिक हो गया। वर्ष 2019 के मई महीना में दो-तीन दिन पानी ग्रामीणों को मिला था। उसके बाद बंद है।

चुनावों के बाद दूर हो समस्या
अभी चुनाव में व्यस्त है। कही भी गड़बड़ी होगी उसे जांच करा जल्द ठीक करा दिया जायेगा। -मनोज कुमार सिंह, एक्सक्यूटिव इंजीनियर, पीएचडी विभाग, आरा



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