पटना|चेहरों की मुनादी तो बहुत पहले से थी, अब ये बाकायदा होर्डिंग-पोस्टर की शक्ल में पब्लिक के लिए खुलेआम भी हो गए। कोरोना काल में होर्डिंग-पोस्टर, चुनावी प्रचार-सभाओं या फिर ऐसी दूसरी तमाम राजनीतिक/चुनावी प्रक्रियाओं के विकल्प मान लिए गए हैं। तरह-तरह के होर्डिंग-पोस्टर, उस पर लिखे नारे। अपनी तारीफ के; दूसरों के कोहराम के।
एक-दूसरे को काटते शब्द; एक-दूसरे से लड़ते शब्द। नए दावे; पुरानी यादें। राजधानी के उन तमाम जगहों पर ये सब साइनबोर्ड माफिक चस्पां हैं, जहां से जनता की भीड़ गुजरती है। चुनाव की निकटता के हिसाब से कमोबेश यही सीन इलाकों में भी बनता जा रहा है।
भाजपा की होर्डिंग में नरेंद्र मोदी द्वारा नीतीश कुमार की तारीफ
भाजपा ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तस्वीर वाली होर्डिंग राजधानी पटना में लगाई। दोनों हाथ जोड़ें हैं। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री की तारीफ में कह रहे हैं-’नीतीश जी जैसे सहयोगी हों, तो कुछ भी संभव है।’ नीचे लिखा है-’न्याय के साथ तरक्की, नीतीश की बात पक्की।’
यह थीम, पिछले कई दिनों से प्रधानमंत्री द्वारा मुख्यमंत्री और बिहार की लगातार की जा रही तारीफ से ली गई है। प्रधानमंत्री, बिहार के लिए परियोजनाओं के उद्घाटन-शिलान्यास के दौरान नीतीश कुमार की जमकर तारीफ करते रहे हैं। उनको देश को राह दिखाने वाला, विकास को समर्पित, बिहार की सूरत बदल देने वाला आदि कहते रहे हैं।
जदयू ने नीतीश कुमार को बताया- 24 कैरेट गोल्ड
जदयू के कई तरह के होर्डिंग हैं। एक में नीतीश कुमार की सोचने वाली बड़ी सी तस्वीर है। लिखा है-’नीतीश में विश्वास, बिहार में विकास।’ दूसरी होर्डिंग में नीतीश कुमार के लिए लिखा है-’24 कैरेट गोल्ड ..., अपने नीतीश कुमार। ... जांचा-परखा, हर कसौटी पर खरा।’ एक होर्डिंग का नारा है-’हर गांव शहर की यही पुकार, फिर से आएं नीतीश कुमार। ... विश्व में बढ़ी हम बिहारियों की शान।’ एक होर्डिंग में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को जेल में बंद दिखाया गया है। लिखा है-’एक ऐसा परिवार जो बिहार पर भार।’ इसमें राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, तेजप्रताप यादव तथा डॉ.मीसा भारती की तस्वीरें हैं।

राजद की होर्डिंग में सिर्फ तेजस्वी यादव की तस्वीर
राजद नेता तेजस्वी यादव के चेहरे वाले होर्डिंग लगा दिए गए हैं। लिखा है- ‘नई सोच नया बिहार, युवा सरकार अबकी बार।’ राजद बनने के बाद से यह पहला चुनाव है जिसके होर्डिंग-पोस्टर में लालू प्रसाद नहीं हैं। राजद समर्थक और विरोधी, सब हैरान।
विरोधी इसे लालू-राबड़ी काल (1990-2005) के खराब शासन वाले इमेज से निकलने के लिए तेजस्वी की रणनीति मान रहे, तो यह भी कहा जा रहा है कि तेजस्वी ने इसके बूते अपने घरेलू विरोध को शून्य करने की कोशिश की है। चर्चा की एक लाइन यह भी कि यह वस्तुत: खुद लालू प्रसाद की वह रणनीति है, जिसे तेजस्वी के चेहरे पर युवाओं को राजद के पाले में आने का पूरा भरोसा है। हर होर्डिंग में यह लाइन भी है-’युवा सरकार अबकी बार।’

तेजस्वी यादव को देखकर औरंगजेब की याद आती है
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. संजय जायसवाल ने रविवार को सोशल मीडिया पर लिखा- ‘तेजस्वी यादव को देखकर उन्हें औरंगजेब की याद आती है, जिसको न तो किसी पर भरोसा है, न वह किसी की बात सुनता है, न ही वह अपने सामने किसी को बढ़ने देना चाहता है। स्व. रघुवंश बाबू के साथ उन्होंने जो किया, वह सबको याद ही होगा, लेकिन अपने पिता के साथ, आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद के साथ वह क्या करना चाहते हैं, यह शोध का विषय है।
उन्हें राजद के पोस्टर से भी हटा दिया गया है। तेजस्वी के अलावा किसी का चेहरा आरजेडी के पोस्टर पर नहीं लगता। लालू प्रसाद पूरी तरह से गायब हैं। आखिर, तेजस्वी का एजेंडा क्या है, वे उस चेहरे से क्यों भाग रहे हैं, जो उनके पिता भी होते हैं। क्या तेजस्वी अपनी विरासत पर शर्मिंदा हैं? अगर उन्हें लगता है कि उनके पिता और माता के शासनकाल में जो कांग्रेस के साथ मिलकर कुशासन और अराजकता का निर्माण किया गया।
वह शर्मिंदगी की वजह है तो उन्हें पूरे राज्य की जनता से माफी मांगनी चाहिए, न कि छद्म आवरण में राजनीति करनी चाहिए। तेजस्वी का ख़ुद अपने परिवार से घमासान चल रहा है, यह जानी हुई बात है। तेजप्रताप और मीसा का उनसे छत्तीस का आंकड़ा है। तेजस्वी अपनी पार्टी के एकछत्र नेता बन गए हैं, जिनको लोकतंत्र से चिढ़ है। सत्ता के लिए अब वह लालू से पीछा छुड़ाना चाहते हैं।
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