बिहार सरकार, एईएस/चमकी बुखार को गंभीर चुनौती मानकर उसे हराने में जुटी है। एसओपी बनाकर काम हुआ। इसके 60 फीसदी मामले सिर्फ मुजफ्फरपुर जिले में मिलते हैं। बाकी 40 फीसदी मामलों के दायरे में 16 जिले हैं। पिछले वर्ष मुजफ्फरपुर जिले के एईएस प्रभावित 5 प्रखंडों कांटी, बोचहा, मीनापुर, मोतीपुर, मुशहरी का सोशियो इकोनॉमिक सर्वे कराया गया।
रिपोर्ट के आधार पर वैसे तमाम उपाय किए गए हैं, जिससे बच्चे बीमार न हों और अगर बीमार हों, तो उनका कारगर इलाज हो। इसमें रोज दिन की रिपोर्टिंग से लेकर जागरूकता, समुचित पोषण, दवाओं-जरूरी चिकित्सीय उपकरणों की पूरी उपलब्धता, एम्बुलेंस, अस्पतालों में एईएस वार्ड, चौबीस घंटे सातों दिन की सेवा आदि शामिल है। इस अभियान में आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविका, जीविका दीदी, पंचायती राज कार्यकर्ता आदि की बुनियादी हिस्सेदारी है। प्रभावित प्रखंडों में पहले के 1679 आंगनबाड़ी केंद्रों के अलावा 303 नये केंद्र खोले गए हैं। सुधा दूध के 97,322 पैकेट (प्रति 200 ग्राम) का वितरण 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों के बीच किया गया है।
राशन कार्ड के लिए आए 14275 आवेदन
जीविका मोबाइल वाणी के जरिए एईएस से जुड़े संदेश सुनाए गए। 49,718 परिवारों को राशन के अलावा ग्लूकॉन डी/ओआरएस दिए गए। नामांकन योग्य 1388 बच्चों में से 1385 का नामांकन हुआ है। 1050 विद्यालयों के कुल 2,37,000 बच्चों को लॉकडाउन में मध्याह्न भोजन के समतुल्य राशि हस्तांतरित की गयी। इन प्रखंडों से राशन कार्ड के लिए 14 हजार 275 आवेदन आए। 11,468 परिवारों को नया राशन कार्ड दिया गया। इन प्रखंडों के 261 वार्ड में पाइपलाइन वाटर का काम पूरा कर लिया गया है।
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