जिले में नहीं यह पूरे सूबे में कोरोना से पहली मौत किसी दारोगा की हुई है। औरंगाबाद कोरोना के इतिहास में दर्ज हो गया। कोरोना से हम एक कर्मवीर योद्धा खो दिए। दारोगा बीरेन्द्र तिवारी कोरोना वॉरियर्स थे। इसीलिए ये एक साधारण मौत नहीं, ये शहादत है। दारोगा का अंतिम संस्कार मंगलवार को शहर के अदरी नदी घाट पर किया गया। पीपीई कीट में लैस चार जवानों ने वाहन से शव उतारकर कांधा दिया और चिता पर ले गए। दारोगा के बड़े बेटे ने मुखाग्नि दी। इसके बाद शव जलाया गया। शव में आग की लपटें उठते ही शमशान घाट पर मौजूद जवान व पुलिस अधिकारी की आंखें नम हो गई। मौके पर जवान से लेकर अधिकारी तक के करीब आठ लोग मौजूद थे। वहीं परिवार के लोगों में तीन बेटे, पत्नी मौजूद थी। चिता पर लेटे दारोगा पति काे 10 मीटर दूर से पत्नी ने किया सैल्यूट गाड़ी से ताबूत में पैक मृत दारोगा के शव को पीपीई कीट में लैस चार जवानों ने उतारकर चिता पर लिटाया। इसके बाद 10 मीटर दूर से दारोगा की पत्नी ने पति को सैल्यूट कर फफक पड़ी। पत्नी बोली ये कोरोना वॉरियर थे। ये बीमारी से मौत नहीं, हम इसे शहादत कहेंगे। मेरा इन्हें अंतिम सैल्यूट है। मुझे फक्र है। दुनिया के सबसे बड़े वैश्विक महामारी में हमने अपने सुहाग काे खोया। लेकिन कोरोना को हारना होगा। पत्नी के हौंसले देखकर जवानों में भी हौंसला आया। चिता पर लेटे दारोगा बीरेन्द्र तिवारी को शमशान पर मौजूद पीपीई कीट में लैस जवान व अधिकारियों ने अंतिम सलामी दी। इसके बाद चिता में आग लगायी गई। इसके पहले दारोगा बीरेन्द्र तिवारी को सोमवार को पुलिस लाइन में अंतिम सलामी एसपी दीपक बरनवाल ने दी थी। चिता सजाने पहुंचा डोम कोरोना का नाम सुनते ही भाग खड़ा हुआ दारोगा के अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज के साथ मंगलवार को अदरी नदी घाट पर की गई। विभाग के अधिकारी, जवान और परिवार के चंद लोग इसमें शामिल हुए। परिजनों की इच्छा थी, ठाकुर, डोम व पंडिजी भी इसमें शामिल हों। जिसके बाद अधिकारियों ने गंभीरता को बताया। वैसे सूत्रों के अनुसार परिजनों ने पंडित व ठाकुर खोजने की पूरी कोशिश की। लेकिन कोई तैयार नहीं हुआ। विभागीय अधिकारियों ने चार हजार रुपए में चिता सजाने के लिए दो डोम खोजकर शमशान घाट लाए। लेकिन डोम मौके पर पीपीई कीट में लैस जवानों को देखकर वह गंभीरता को भांप गया। उसने पूछा यह माैत कोरोना से हुई है क्या? परिजनों ने हां बता दिया। पुलिस लाइन में तबीयत खराब हुई, इसकी सूचना पत्नी को दी थी मृत दारोगा बीरेन्द्र तिवारी हाई बीपी व हाई सुगर से पहले से पीड़ित थे। इसी बीच वह 27 मई को हसपुरा से पुलिस लाइन में मालखाना के प्रभार देने पहुंचे। दारोगा खुदवां थाना में कार्यरत थे। इसी दौरान घटना से चार दिन पहले उनकी तबीयत पुलिस लाईन में खराब हुई। अपनी पत्नी से फोन कर तबीयत खराब होने की बात भी कही। तबीयत खराब होने की जानकारी मिलने के बाद लाइन के अधिकारियों ने उन्हें शुक्रवार को सर्दी, खांसी व बुखार का लक्षण पाकर इलाज कराया। जांच की बात भी पत्नी को फोन कर बताया था। शनिवार की रात खाना खाकर अपने बैरक में चले गए। जहां रात में दारोगा की मौत हो गई। सुबह में जब नहीं जगे तो अन्य साथियों ने देखा तो वह मरे पड़े थे। बड़ा सवाल : आखिर कोरोना से कहां संक्रमित हुए दारोगा तिवारी ? खुदवां थाने में बीरेन्द्र तिवारी तैनात थे। वहां उनकी तबीयत ठीक थी। वहां से हसपुरा क्वॉरेंटाइन सेंटर में 5 मई को ड्यूटी पर लगाए गए थे। वहां कोई पॉजिटिव मरीज नहीं था और वहां भी उनका तबीयत ठीक थी। पुलिस लाइन में भी कोई पाॅजिटिव केस नहीं। फिर आखिर सवाल उठता है कि बीरेन्द्र तिवारी कोरोना संक्रमण का शिकार कहां हुए? हसपुरा में या पुलिस लाईन में? कहीं न कहीं तो कुछ जरूर गड़बड़ है या तो हसपुरा में संक्रमित हैं, जिसकी जानकारी प्रशासन को नहीं या पुलिस लाईन में। इसकी तहकीकात जरूर होनी चाहिए। या हो सकता है, उक्त दारोगा बाजार निकले हों और बाजार में किसी संक्रमित के संपर्क में आ गए हों। अगर ऐसा भी है तो ये शहर के लिए खतरनाक। पुलिस लाइन की बैरक से लेकर खुदवां हसपुरा तक करीब 80 लोग क्वारेंटाइन मृत दारोगा के कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मचा हुआ है। क्योंकि यह पूरे राज्य का पहला मामला है। जहां कोई पुलिस वाला कोरोना की चपेट में आने से मर गया। लिहाजा जिस बैरक में दारोगा की मौत हुई। उस बैरक में रहने वाले अन्य पुलिस पदाधिकारी व जवान समेत पुलिस लाइन में 50 से अधिक लोगों को क्वॉरेंटाइन किया गया है। वहीं खुदवां व हसपुरा में 20 से 30 लोगों को क्वॉरेंटाइन किया गया है। जिनके संपर्क में दारोगा आए थे। सूत्रों की मानें तो उक्त दारोगा व्यवहार कुशल थे और पुलिस लाइन में इधर-उधर टहलते थे। लिहाजा वे कितने लोग के संपर्क में आए होंगे, इसका अभी कोई अंदाजा नहीं है। पुलिस महकमा भी उनके संपर्क चेन खंगालने में जुटा हुआ है। जितने लोग संपर्क चेन में आएंगे, उन्हें क्वॉरेंटाइन किया जाएगा। एसपी बोले-ये घटना दु:खद, विभाग से मिलेगी मदद दारोगा की मौत को दु:खद है। दारोगा के संपर्क में आए विभाग के अधिकारी व जवान सहित 70 लोगों काे क्वारेंटाइन किया गया है। वहीं दारोगा का इलाज करने वाले एक डॉक्टर को भी क्वारेंटाइन किया गया है। दारोगा को विभाग से मिलने वाली हर मदद मिलेगी। इसके साथ-साथ वरीय स्तर से जो दिशा निर्देश आएगा, उसके हिसाब से भी मदद की जाएगी। -दीपक बरनवाल, एसपी, औरंगाबाद Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today After the death of the corona virus, the elder son gave fire, wife did salute, said - proud of martyrdom - VTM Breaking News

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Wednesday, June 10, 2020

जिले में नहीं यह पूरे सूबे में कोरोना से पहली मौत किसी दारोगा की हुई है। औरंगाबाद कोरोना के इतिहास में दर्ज हो गया। कोरोना से हम एक कर्मवीर योद्धा खो दिए। दारोगा बीरेन्द्र तिवारी कोरोना वॉरियर्स थे। इसीलिए ये एक साधारण मौत नहीं, ये शहादत है। दारोगा का अंतिम संस्कार मंगलवार को शहर के अदरी नदी घाट पर किया गया। पीपीई कीट में लैस चार जवानों ने वाहन से शव उतारकर कांधा दिया और चिता पर ले गए। दारोगा के बड़े बेटे ने मुखाग्नि दी। इसके बाद शव जलाया गया। शव में आग की लपटें उठते ही शमशान घाट पर मौजूद जवान व पुलिस अधिकारी की आंखें नम हो गई। मौके पर जवान से लेकर अधिकारी तक के करीब आठ लोग मौजूद थे। वहीं परिवार के लोगों में तीन बेटे, पत्नी मौजूद थी। चिता पर लेटे दारोगा पति काे 10 मीटर दूर से पत्नी ने किया सैल्यूट गाड़ी से ताबूत में पैक मृत दारोगा के शव को पीपीई कीट में लैस चार जवानों ने उतारकर चिता पर लिटाया। इसके बाद 10 मीटर दूर से दारोगा की पत्नी ने पति को सैल्यूट कर फफक पड़ी। पत्नी बोली ये कोरोना वॉरियर थे। ये बीमारी से मौत नहीं, हम इसे शहादत कहेंगे। मेरा इन्हें अंतिम सैल्यूट है। मुझे फक्र है। दुनिया के सबसे बड़े वैश्विक महामारी में हमने अपने सुहाग काे खोया। लेकिन कोरोना को हारना होगा। पत्नी के हौंसले देखकर जवानों में भी हौंसला आया। चिता पर लेटे दारोगा बीरेन्द्र तिवारी को शमशान पर मौजूद पीपीई कीट में लैस जवान व अधिकारियों ने अंतिम सलामी दी। इसके बाद चिता में आग लगायी गई। इसके पहले दारोगा बीरेन्द्र तिवारी को सोमवार को पुलिस लाइन में अंतिम सलामी एसपी दीपक बरनवाल ने दी थी। चिता सजाने पहुंचा डोम कोरोना का नाम सुनते ही भाग खड़ा हुआ दारोगा के अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज के साथ मंगलवार को अदरी नदी घाट पर की गई। विभाग के अधिकारी, जवान और परिवार के चंद लोग इसमें शामिल हुए। परिजनों की इच्छा थी, ठाकुर, डोम व पंडिजी भी इसमें शामिल हों। जिसके बाद अधिकारियों ने गंभीरता को बताया। वैसे सूत्रों के अनुसार परिजनों ने पंडित व ठाकुर खोजने की पूरी कोशिश की। लेकिन कोई तैयार नहीं हुआ। विभागीय अधिकारियों ने चार हजार रुपए में चिता सजाने के लिए दो डोम खोजकर शमशान घाट लाए। लेकिन डोम मौके पर पीपीई कीट में लैस जवानों को देखकर वह गंभीरता को भांप गया। उसने पूछा यह माैत कोरोना से हुई है क्या? परिजनों ने हां बता दिया। पुलिस लाइन में तबीयत खराब हुई, इसकी सूचना पत्नी को दी थी मृत दारोगा बीरेन्द्र तिवारी हाई बीपी व हाई सुगर से पहले से पीड़ित थे। इसी बीच वह 27 मई को हसपुरा से पुलिस लाइन में मालखाना के प्रभार देने पहुंचे। दारोगा खुदवां थाना में कार्यरत थे। इसी दौरान घटना से चार दिन पहले उनकी तबीयत पुलिस लाईन में खराब हुई। अपनी पत्नी से फोन कर तबीयत खराब होने की बात भी कही। तबीयत खराब होने की जानकारी मिलने के बाद लाइन के अधिकारियों ने उन्हें शुक्रवार को सर्दी, खांसी व बुखार का लक्षण पाकर इलाज कराया। जांच की बात भी पत्नी को फोन कर बताया था। शनिवार की रात खाना खाकर अपने बैरक में चले गए। जहां रात में दारोगा की मौत हो गई। सुबह में जब नहीं जगे तो अन्य साथियों ने देखा तो वह मरे पड़े थे। बड़ा सवाल : आखिर कोरोना से कहां संक्रमित हुए दारोगा तिवारी ? खुदवां थाने में बीरेन्द्र तिवारी तैनात थे। वहां उनकी तबीयत ठीक थी। वहां से हसपुरा क्वॉरेंटाइन सेंटर में 5 मई को ड्यूटी पर लगाए गए थे। वहां कोई पॉजिटिव मरीज नहीं था और वहां भी उनका तबीयत ठीक थी। पुलिस लाइन में भी कोई पाॅजिटिव केस नहीं। फिर आखिर सवाल उठता है कि बीरेन्द्र तिवारी कोरोना संक्रमण का शिकार कहां हुए? हसपुरा में या पुलिस लाईन में? कहीं न कहीं तो कुछ जरूर गड़बड़ है या तो हसपुरा में संक्रमित हैं, जिसकी जानकारी प्रशासन को नहीं या पुलिस लाईन में। इसकी तहकीकात जरूर होनी चाहिए। या हो सकता है, उक्त दारोगा बाजार निकले हों और बाजार में किसी संक्रमित के संपर्क में आ गए हों। अगर ऐसा भी है तो ये शहर के लिए खतरनाक। पुलिस लाइन की बैरक से लेकर खुदवां हसपुरा तक करीब 80 लोग क्वारेंटाइन मृत दारोगा के कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मचा हुआ है। क्योंकि यह पूरे राज्य का पहला मामला है। जहां कोई पुलिस वाला कोरोना की चपेट में आने से मर गया। लिहाजा जिस बैरक में दारोगा की मौत हुई। उस बैरक में रहने वाले अन्य पुलिस पदाधिकारी व जवान समेत पुलिस लाइन में 50 से अधिक लोगों को क्वॉरेंटाइन किया गया है। वहीं खुदवां व हसपुरा में 20 से 30 लोगों को क्वॉरेंटाइन किया गया है। जिनके संपर्क में दारोगा आए थे। सूत्रों की मानें तो उक्त दारोगा व्यवहार कुशल थे और पुलिस लाइन में इधर-उधर टहलते थे। लिहाजा वे कितने लोग के संपर्क में आए होंगे, इसका अभी कोई अंदाजा नहीं है। पुलिस महकमा भी उनके संपर्क चेन खंगालने में जुटा हुआ है। जितने लोग संपर्क चेन में आएंगे, उन्हें क्वॉरेंटाइन किया जाएगा। एसपी बोले-ये घटना दु:खद, विभाग से मिलेगी मदद दारोगा की मौत को दु:खद है। दारोगा के संपर्क में आए विभाग के अधिकारी व जवान सहित 70 लोगों काे क्वारेंटाइन किया गया है। वहीं दारोगा का इलाज करने वाले एक डॉक्टर को भी क्वारेंटाइन किया गया है। दारोगा को विभाग से मिलने वाली हर मदद मिलेगी। इसके साथ-साथ वरीय स्तर से जो दिशा निर्देश आएगा, उसके हिसाब से भी मदद की जाएगी। -दीपक बरनवाल, एसपी, औरंगाबाद Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today After the death of the corona virus, the elder son gave fire, wife did salute, said - proud of martyrdom

जिले में नहीं यह पूरे सूबे में कोरोना से पहली मौत किसी दारोगा की हुई है। औरंगाबाद कोरोना के इतिहास में दर्ज हो गया। कोरोना से हम एक कर्मवीर योद्धा खो दिए। दारोगा बीरेन्द्र तिवारी कोरोना वॉरियर्स थे। इसीलिए ये एक साधारण मौत नहीं, ये शहादत है। दारोगा का अंतिम संस्कार मंगलवार को शहर के अदरी नदी घाट पर किया गया।

पीपीई कीट में लैस चार जवानों ने वाहन से शव उतारकर कांधा दिया और चिता पर ले गए। दारोगा के बड़े बेटे ने मुखाग्नि दी। इसके बाद शव जलाया गया। शव में आग की लपटें उठते ही शमशान घाट पर मौजूद जवान व पुलिस अधिकारी की आंखें नम हो गई। मौके पर जवान से लेकर अधिकारी तक के करीब आठ लोग मौजूद थे। वहीं परिवार के लोगों में तीन बेटे, पत्नी मौजूद थी।
चिता पर लेटे दारोगा पति काे 10 मीटर दूर से पत्नी ने किया सैल्यूट
गाड़ी से ताबूत में पैक मृत दारोगा के शव को पीपीई कीट में लैस चार जवानों ने उतारकर चिता पर लिटाया। इसके बाद 10 मीटर दूर से दारोगा की पत्नी ने पति को सैल्यूट कर फफक पड़ी। पत्नी बोली ये कोरोना वॉरियर थे। ये बीमारी से मौत नहीं, हम इसे शहादत कहेंगे। मेरा इन्हें अंतिम सैल्यूट है। मुझे फक्र है। दुनिया के सबसे बड़े वैश्विक महामारी में हमने अपने सुहाग काे खोया।

लेकिन कोरोना को हारना होगा। पत्नी के हौंसले देखकर जवानों में भी हौंसला आया। चिता पर लेटे दारोगा बीरेन्द्र तिवारी को शमशान पर मौजूद पीपीई कीट में लैस जवान व अधिकारियों ने अंतिम सलामी दी। इसके बाद चिता में आग लगायी गई। इसके पहले दारोगा बीरेन्द्र तिवारी को सोमवार को पुलिस लाइन में अंतिम सलामी एसपी दीपक बरनवाल ने दी थी।
चिता सजाने पहुंचा डोम कोरोना का नाम सुनते ही भाग खड़ा हुआ
दारोगा के अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज के साथ मंगलवार को अदरी नदी घाट पर की गई। विभाग के अधिकारी, जवान और परिवार के चंद लोग इसमें शामिल हुए। परिजनों की इच्छा थी, ठाकुर, डोम व पंडिजी भी इसमें शामिल हों। जिसके बाद अधिकारियों ने गंभीरता को बताया। वैसे सूत्रों के अनुसार परिजनों ने पंडित व ठाकुर खोजने की पूरी कोशिश की। लेकिन कोई तैयार नहीं हुआ। विभागीय अधिकारियों ने चार हजार रुपए में चिता सजाने के लिए दो डोम खोजकर शमशान घाट लाए। लेकिन डोम मौके पर पीपीई कीट में लैस जवानों को देखकर वह गंभीरता को भांप गया। उसने पूछा यह माैत कोरोना से हुई है क्या? परिजनों ने हां बता दिया।

पुलिस लाइन में तबीयत खराब हुई, इसकी सूचना पत्नी को दी थी

मृत दारोगा बीरेन्द्र तिवारी हाई बीपी व हाई सुगर से पहले से पीड़ित थे। इसी बीच वह 27 मई को हसपुरा से पुलिस लाइन में मालखाना के प्रभार देने पहुंचे। दारोगा खुदवां थाना में कार्यरत थे। इसी दौरान घटना से चार दिन पहले उनकी तबीयत पुलिस लाईन में खराब हुई। अपनी पत्नी से फोन कर तबीयत खराब होने की बात भी कही। तबीयत खराब होने की जानकारी मिलने के बाद लाइन के अधिकारियों ने उन्हें शुक्रवार को सर्दी, खांसी व बुखार का लक्षण पाकर इलाज कराया। जांच की बात भी पत्नी को फोन कर बताया था। शनिवार की रात खाना खाकर अपने बैरक में चले गए। जहां रात में दारोगा की मौत हो गई। सुबह में जब नहीं जगे तो अन्य साथियों ने देखा तो वह मरे पड़े थे।

बड़ा सवाल : आखिर कोरोना से कहां संक्रमित हुए दारोगा तिवारी ?
खुदवां थाने में बीरेन्द्र तिवारी तैनात थे। वहां उनकी तबीयत ठीक थी। वहां से हसपुरा क्वॉरेंटाइन सेंटर में 5 मई को ड्यूटी पर लगाए गए थे। वहां कोई पॉजिटिव मरीज नहीं था और वहां भी उनका तबीयत ठीक थी। पुलिस लाइन में भी कोई पाॅजिटिव केस नहीं। फिर आखिर सवाल उठता है कि बीरेन्द्र तिवारी कोरोना संक्रमण का शिकार कहां हुए? हसपुरा में या पुलिस लाईन में? कहीं न कहीं तो कुछ जरूर गड़बड़ है या तो हसपुरा में संक्रमित हैं, जिसकी जानकारी प्रशासन को नहीं या पुलिस लाईन में। इसकी तहकीकात जरूर होनी चाहिए। या हो सकता है, उक्त दारोगा बाजार निकले हों और बाजार में किसी संक्रमित के संपर्क में आ गए हों। अगर ऐसा भी है तो ये शहर के लिए खतरनाक।

पुलिस लाइन की बैरक से लेकर खुदवां हसपुरा तक करीब 80 लोग क्वारेंटाइन
मृत दारोगा के कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मचा हुआ है। क्योंकि यह पूरे राज्य का पहला मामला है। जहां कोई पुलिस वाला कोरोना की चपेट में आने से मर गया। लिहाजा जिस बैरक में दारोगा की मौत हुई। उस बैरक में रहने वाले अन्य पुलिस पदाधिकारी व जवान समेत पुलिस लाइन में 50 से अधिक लोगों को क्वॉरेंटाइन किया गया है। वहीं खुदवां व हसपुरा में 20 से 30 लोगों को क्वॉरेंटाइन किया गया है। जिनके संपर्क में दारोगा आए थे। सूत्रों की मानें तो उक्त दारोगा व्यवहार कुशल थे और पुलिस लाइन में इधर-उधर टहलते थे। लिहाजा वे कितने लोग के संपर्क में आए होंगे, इसका अभी कोई अंदाजा नहीं है। पुलिस महकमा भी उनके संपर्क चेन खंगालने में जुटा हुआ है। जितने लोग संपर्क चेन में आएंगे, उन्हें क्वॉरेंटाइन किया जाएगा।
एसपी बोले-ये घटना दु:खद, विभाग से मिलेगी मदद

दारोगा की मौत को दु:खद है। दारोगा के संपर्क में आए विभाग के अधिकारी व जवान सहित 70 लोगों काे क्वारेंटाइन किया गया है। वहीं दारोगा का इलाज करने वाले एक डॉक्टर को भी क्वारेंटाइन किया गया है। दारोगा को विभाग से मिलने वाली हर मदद मिलेगी। इसके साथ-साथ वरीय स्तर से जो दिशा निर्देश आएगा, उसके हिसाब से भी मदद की जाएगी। -दीपक बरनवाल, एसपी, औरंगाबाद



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