चीन की एक लैब का दावा है कि वह एक ऐसी दवा बना रही है, जो कोरोनामहामारी को काबू कर सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस दवा से न सिर्फसंक्रमित जल्दी ठीक हो रहे हैं, बल्कि यह कुछ समय के लिए वायरस से लड़ने के लिए प्रतिरोधी क्षमता (इम्यून) भी बढ़ा रही है।
वैज्ञानिक इस दवा की टेस्टिंग चीन की पेकिंग यूनिवर्सिटी में कर रहे हैं। बाद में इंसान पर इसका परीक्षण ऑस्ट्रेलिया या किसी अन्य देश में किया जाएगा, क्योंकि चीन में संक्रमण के मामले कम हो गए हैं।कोरोनावायरस की शुरुआत चीन से ही हुई है। इसके बाद धीरे-धीरे यह पूरी दुनिया में फैल गया। फिलहाल, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी वैक्सीन बनाने की होड़ लगी हुई है।
जानवरों पर परीक्षण सफल
यूनिवर्सिटी के बीजिंग एडवांस्ड इनोवेशन सेंटर फॉर जीनोमिक्स के निदेशक सन्नी झी ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया कि जानवरों पर इसका परीक्षण सफल रहा है। जब हमने एक संक्रमित चूहे के अंदर न्यूट्रिलाइजिंग एंटीबॉडी इंजेक्ट कियातो 5 दिन के बाद वायरल लोड 2500 तक कम हो गया। इसका मतलब है कि इस संभावित दवा असर हुआ है। यह दवा न्यूट्रिलाइजिंग एंटीबॉडी का इस्तेमाल करती है, जिसेइंसान का प्रतिरोधी तंत्र तैयारकरताहै,ताकि कोशिकाओं को वायरस से संक्रमित होने से बचायाजा सके। झी की टीम ने 60 ठीक हुए मरीजों से एंटीबॉडी को निकाला।
एंटीबॉडी के इस्तेमाल से बीमारी का इलाज संभव
टीम की रिसर्च रविवार को एक जर्नल में प्रकाशित की गई थी। इसमें कहा गया था कि एटीबॉडी के इस्तेमाल से बीमारी काइलाज संभव है। साथ ही इससे रिकवरी टाइम भी कम हो जाता है। झी ने कहा कि एंटीबॉडी के लिए उनकी टीम दिन-रात काम कर रही थी। उन्होंने कहा कि क्लिनिकल ट्रायल की योजना पर काम चल रहा है।
‘एक टीका बनने में 12 से 18 महीने लग सकते हैं’
उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि ये न्यूट्रिलाइज्ड एंटीबॉडी महामारी के इलाज के लिए एक महत्वपूर्ण दवा बन सकतीहै। वहीं, पिछले हफ्ते एक स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा था कि चीन में पहले से ही पांच वैक्सीन का इंसानों पर ट्रायल किया जा रहा है। वहीं,डब्ल्यूएचओ का कहना हैकिटीका विकसित करने में 12 से 18 महीने लग सकते हैं।
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